#SardarVallabhbhaiPatel पुण्यतिथि : पंडित नेहरू से था कई मुद्दों पर मतभेद पर मनभेद नहीं
आज भारतीय राजनीति के लौह पुरुष वल्लभभाई पटेल यानी सरदार पटेल की जयंती है. उन्होंने जो लकीर खींची, उससे बड़ी की बात तो दूर कोई राजनेता उसकी बराबरी भी नहीं कर सका. सरदार पटेल ने भारत को एक सूत्र में बांधने में अहम भूमिका निभाई. आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें नमन करते हुए, उनकी शख्सीयत […]
आज भारतीय राजनीति के लौह पुरुष वल्लभभाई पटेल यानी सरदार पटेल की जयंती है. उन्होंने जो लकीर खींची, उससे बड़ी की बात तो दूर कोई राजनेता उसकी बराबरी भी नहीं कर सका. सरदार पटेल ने भारत को एक सूत्र में बांधने में अहम भूमिका निभाई. आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें नमन करते हुए, उनकी शख्सीयत से जुड़ी कुछ बातों पर चर्चा-
सरदार पटेल और देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के बीच कई मुद्दों पर मतभेद थे. विशेषकर कश्मीर के मुद्दे पर दोनों के विचार बिलकुल भिन्न थे. बावजूद इसके पटेल के लिए राष्ट्र सर्वोपरि था उन्होंने हमेशा यह कहा कि मैं सभी मुद्दों पर प्रधानमंत्री के साथ हूं. महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद तो सरदार पटेल ने कहा था – अब चूंकि महात्मा हमारे बीच नहीं हैं, नेहरू ही हमारे नेता हैं. महात्मा ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था और इसकी घोषणा भी की थी. अब यह बापू के सिपाहियों का कर्तव्य है कि वे उनके निर्देश का पालन करें.
पत्नी की मौत की खबर मिलने पर भी करते रहे जिरह
सरदार पटेल एक प्रतिष्ठित वकील थे. जब उनकी पत्नी की मौत की खबर कोर्ट में पहुंची तो वे जिरह कर रहे थे. सूचना वाली पर्ची को उन्होंने अपने जेब में डाला और बहस करते रहे. लगभग दो घंटे बाद जब प्रक्रिया पूरी हुई तो वे घर के लिए निकले और लोगों को सूचना दी.
किसान परिवार के थे सरदार पटेल
सरदार पटेल का जन्म 31 अक्तूबर 1875 को पटेल का जन्म नडियाद, गुजरात में एक किसान परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम झवेरभाई पटेल एवं मां का लाडबा देवी था, वे अपने माता-पिता की चौथी संतान थे. सोमाभाई, नरसीभाई और विट्टलभाई उनके अग्रज थे. लंदन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे. महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था.