गहरे महासागर में पनडुब्बियों को बचायेगा डीएसआरवी, जानें खास बातें
नेशनल कंटेंट सेल नयी दिल्ली : भारतीय नौसेना में देश का पहला गहन जलमग्न बचाव वाहन (डीएसआरवी) को अपनी सेवा में शामिल किया गया है. जल्द ही इसे मुंबई और विशाखापत्तनम में तैनात किया जायेगा. नौ सैनिक अधिकारियों के मुताबिक पनडुब्बी के दुर्घटना होने पर डीएसआरवी राहत व बचाव कार्य करने में सक्षम है. डीएसआरवी […]
नेशनल कंटेंट सेल
नयी दिल्ली : भारतीय नौसेना में देश का पहला गहन जलमग्न बचाव वाहन (डीएसआरवी) को अपनी सेवा में शामिल किया गया है. जल्द ही इसे मुंबई और विशाखापत्तनम में तैनात किया जायेगा. नौ सैनिक अधिकारियों के मुताबिक पनडुब्बी के दुर्घटना होने पर डीएसआरवी राहत व बचाव कार्य करने में सक्षम है.
डीएसआरवी की उपलब्धता से हिंद महासागर में भारतीय नौसेना संकट में फंसी पनडुब्बियों के बचाव व राहत के लिये हमेशा तैयार रह सकेगी. हिंद महासागर में भारतीय समुद्री इलाके की चौकसी के अलावा भारतीय नौसेना डाइविंग सपोर्ट ऑपरेशन भी करती है. इसके जरिये नीचे निरीक्षण, परीक्षण को गये गोताखोरों को बचाया जा सकता है. अब तक समुद्र में किसी सबमरीन के साथ कोई दुर्घटना होती तो भारत अमेरिका से मदद लिया करता था. लेकिन यूएस नेवी को यहां पहुंचने में काफी समय लग जाता था.
अगस्त 2013 में आइएनएस सिंधुरक्षक में विस्फोट से 18 सैनिकों की मौत हो गयी थी. वहीं फरवरी 2014 दो लेफ्टिनेंट के भी अपनी जान गंवानी पड़ी थी.
80 के दशक से थी जरूरत
एडमिरल लांबा ने बताया कि 1980 के दशक की शुरुआत में एक ऐसे समर्पित वाहन की आवश्यकता महसूस की गयी थी. उन्होंने कहा कि शामिल पनडुब्बी स्कॉटलैंड स्थित जेएफडी का एक तीसरी पीढ़ी उत्पाद है जो जेम्स फिशर ऐंड संस पीएलसी का एक हिस्सा है. इसमें नवीनतम तकनीक और क्षमता है. यह वाहन वर्तमान में भारतीय नौवहन निगम द्वारा निर्मित मूल पोत (मदर शिप) आइएनएस साबरमती पर तैनात है. इसे मुंबई में रखा जायेगा.
एक नजर में खास बातें
10 करोड़ है कीमत
14 लोगों को बचाने में सक्षम (एक बार में)
300 फीट की गहराई तक पनडुब्बी को बचाने में सक्षम
666 मीटर गहराई तक पहुंच
9,000 करोड़ रुपये का ठेका मिला हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड को दो मदर शिप जहाजों के निर्माण के लिए