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भारत और फ्रांस ने जैतापुर परमाणु परियोजना की स्थिति की समीक्षा की, कई मुद्दों पर हुई चर्चा

नयी दिल्ली : भारत और फ्रांस ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र, रक्षा, अंतरिक्ष और असैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग के जरिए द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी प्रगाढ़ बनाने को लेकर शनिवार को चर्चा की. फ्रांस के यूरोप एवं विदेश मामलों के मंत्री ज्‍यां येव्‍स ली द्रायन ने कहा कि उन्होंने और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने तटवर्ती महाराष्ट्र […]

नयी दिल्ली : भारत और फ्रांस ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र, रक्षा, अंतरिक्ष और असैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग के जरिए द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी प्रगाढ़ बनाने को लेकर शनिवार को चर्चा की.

फ्रांस के यूरोप एवं विदेश मामलों के मंत्री ज्‍यां येव्‍स ली द्रायन ने कहा कि उन्होंने और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने तटवर्ती महाराष्ट्र के जैतापुर में यूरोपियन प्रेशराइज्ड रिएक्टर (ईपीआर) परियोजना की स्थिति की समीक्षा की. उन्होंने कहा, हमने आगामी महीनों में कार्य को निर्देशित करने के वास्ते एक कार्ययोजना भी अपनायी ताकि इस ऊर्जा संयंत्र निर्माण को लेकर एक अंतिम निर्णय की दिशा में यथासंभव कुशलता से आगे बढ़ा जा सके.

उन्होंने कहा कि छह ईपीआर से तकरीबन 10 गीगावाट बिजली का उत्पादन होगा. यह पेरिस पर्यावरण सम्मेलन के पहले भारत की ओर से की गई इस प्रतिबद्धता के मद्देनजर महत्वपूर्ण है कि वह 2030 तक अपनी 40 प्रतिशत बिजली गैर जीवाश्म ईंधनों से पैदा करने का लक्ष्य रखता है.मार्च में भारत और फ्रांस ने जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र परियोजना में तेजी लाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था जिसका उद्देश्य वर्ष के अंत तक स्थल पर काम शुरू करना था. भारत और फ्रांस के बीच परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर 2008 में जैतापुर में एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र निर्माण के लिए किया गया था.

जैतापुर मुम्बई से करीब 600 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है. ऊर्जा संयंत्र में छह रिएक्टर होंगे जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 1650 मेगावाट होगी. एक बार स्थापित हो जाने पर जैतापुर परियोजना विश्व में सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र होगा जिसकी कुल क्षमता 9600 मेगावाट होगी.ली द्रायन ने कहा कि यह परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ अभियान में भी योगदान करेगी क्योंकि इसमें उत्पादन, प्रौद्योगिकी, संयुक्त अनुसंधान और प्रशिक्षण का हस्तांतरण शामिल होगा. स्वराज ने कहा कि संयुक्त दृष्टि अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग का आधार बनाती है. उन्होंने दक्षिण अमेरिका के उत्तरपूर्व तट से लगे क्षेत्र में स्थित एक इलाके फ्रेंच गुएना से एरियनस्पेस रॉकेट प्रक्षेपण में सहयोग के लिए फ्रांस को धन्यवाद दिया.

स्वराज ने कहा कि भारत और फ्रांस के संबंध की नींव परस्पर विश्वास पर आधारित है. उन्होंने कहा कि दोनों देश विभिन्न क्षेत्रों में अपने संबधों को मजबूत करना चाहते हैं. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, हमारी सार्थक बातचीत हुई. हमने अपने आपसी संबंधों के तमाम पहलुओं पर गौर किया. हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना सहयोग बढ़ा रहे हैं, इससे न केवल दोनों देशों बल्कि क्षेत्र के दूसरे देशों को भी फायदा होगा.

उन्होंने कहा, हमारे रक्षा संबंध ऐतिहासिक हैं और प्रशिक्षण तथा संयुक्त अभ्यास के रूप में आदान-प्रदान के कई कार्यक्रमों में हमारी हिस्सेदारी है. विदेश मंत्री ने इसके साथ ही आतंकवाद के खिलाफ मिलकर मुकाबले के दोनों देशों का संकल्प दोहराया. उन्होंने कहा, हम दोनों अंतरिक्ष क्षेत्र में अपने संबंध मजबूत करने पर काम कर रहे हैं.

हम दोनों जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं. विदेश मंत्री ने कहा, पिछले साल हमारा द्विपक्षीय कारोबार 9.62 अरब यूरो का था. हमें 2022 तक 15 अरब यूरो के व्यापार तक पहुंचना है तो हमें अपने कारोबारी संबंधों को और मजबूत बनाने की दिशा में काम करना होगा. स्वराज ने कहा कि 2020 तक दोनों देशों के करीब 10,000 छात्र भी एक दूसरे के देशों में जाएंगे.

ली द्रायन ने कहा, यह संयोग से नहीं है कि फ्रांस और भारत इस वर्ष अपनी रणनीतिक साझेदारी की 20वीं जयंती मना रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि हम बहुपक्षवाद, कानून के शासन के प्रति सम्मान, एक ही महत्वाकांक्षा को एक न्यायसंगत और टिकाऊ दुनिया में लाने के लिए समान महत्व देते हैं. उन्होंने कहा, यह इसलिए भी है क्योंकि भारत जानता है कि फ्रांस में उसका एक साझेदार है जिसने उसे कभी निराश नहीं किया है और जिस पर वह भविष्य के लिए भरोसा कर सकता है.

यह रणनीतिक मोर्चे पर सही साबित होता है, विशेष रूप से हिंद महासागर पर हमारे आदान-प्रदान के सुदृढ़ होने से और आतंकवाद से लड़ने के लिए हमारी साझी प्रतिबद्धता से… उन्होंने कहा, यह आर्थिक मोर्चे पर भी सच है, हमारी कंपनियां मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत में निवेश और नवोन्मेष कर रही हैं. शहरी विकास के मोर्चे पर और डिजिटल अर्थव्यवस्था पर हमारी कंपनियां मौजूद हैं और कल के भारत और फ्रांस का निर्माण पर काम कर रही हैं.

ली द्रायन की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब फ्रांस की एयरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद को लेकर विवाद चल रहा है. विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच बातचीत में राफेल सौदा नहीं आया.

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