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मालदीव को भारत देगा 1.4 अरब डाॅलर की आर्थिक सहायता, दोनों देशों के बीच चार समझौते

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह से बातचीत के बाद द्वीपीय देश को एक अरब 40 करोड़ डाॅलर की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है. बातचीत के दौरान दोनों पक्ष हिंद महासागर में सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने पर भी सहमत हुए. इसके अलावा दोनों […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह से बातचीत के बाद द्वीपीय देश को एक अरब 40 करोड़ डाॅलर की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है. बातचीत के दौरान दोनों पक्ष हिंद महासागर में सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने पर भी सहमत हुए. इसके अलावा दोनों देशों के बीच वीजा सुविधा सहित चार समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये.

बातचीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने प्रेस बयान जारी कर कहा, सौहार्दपूर्ण वातावरण में हमने सफल बातचीत की. हमने संबंधों को मजबूत करने का संकल्प किया है. उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के सुरक्षा हित एक-दूसरे के साथ हैं और दोनों पक्ष हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने के लिए एक साथ काम करेंगे. मोदी ने जोर देकर कहा, हमलोग अपने देशों में किसी ऐसी गतिविधि की अनुमति नहीं देंगे जो एक दूसरे के हितों के लिए हानिकारक हो सकता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि मालदीव के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए बजट समर्थन, मुद्रा की अदला-बदली और क्रेडिट लाइन के रूप में 1.4 अरब डाॅलर की आर्थिक मदद देगा.

उन्होंने कहा, हम मालदीव के साथ बृहत ब्यापार संबंध चाहते हैं. इस द्वीपीय देश में भारतीय कंपनियों के लिए अवसर बढ़ रहे हैं. इस दौरान सोलिह ने कहा कि हिंद महासागर में समन्वित गश्त एवं हवाई निगरानी के जरिये समुद्री सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए हम सहमत हुए. सोलिह तीन दिवसीय सरकारी दौरे पर रविवार को यहां पहुंचे. एक महीने पहले देश की सत्ता संभालने के बाद यह उनका पहला विदेश दौरा है. प्रधानमंत्री मोदी 17 नवंबर को सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे.

इससे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोलिह से मुलाकात की और आपसी हितों के द्विपक्षीय संबधों और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की. इस साल पांच फरवरी को मालदीव में तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने आपातकाल की घोषणा कर दी थी, उसके बाद दोनों देशों के बीच संबधों में तल्खी आ गयी थी. भारत ने इसकी आलोचना की थी और वहां की सरकार से राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और लोकतंत्र बहाल करने को कहा था. देश में 45 दिन तक आपातकाल रहा.

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