राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा के तीन सांसदों ने दिया विशेषाधिकार हनन का नोटिस

नयी दिल्ली : राफेल मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमले तेज कर दिये हैं और लोकसभा में सत्तारूढ़ पार्टी के तीन सदस्यों ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया. उन्होंने कहा कि गांधी ने जुलाई में एक चर्चा के दौरान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 17, 2018 8:32 PM

नयी दिल्ली : राफेल मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमले तेज कर दिये हैं और लोकसभा में सत्तारूढ़ पार्टी के तीन सदस्यों ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया.

उन्होंने कहा कि गांधी ने जुलाई में एक चर्चा के दौरान अपने भाषण में राफेल विमान सौदे पर झूठ बोला और सदन को गुमराह किया. भाजपा सदस्यों अनुराग ठाकुर, निशिकांत दुबे और संजय जायसवाल ने संसद के माॅनसून सत्र में नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में दिये गये राहुल गांधी के भाषण को लेकर उनके विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है. भाजपा ने पिछले सप्ताह आये उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद गांधी पर हमले तेज कर दिये हैं. शीर्ष अदालत ने राफेल सौदे में अनियमितताओं के आरोपों के मामले में जांच की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था. हालांकि, गांधी राफेल विमानों की खरीद में भ्रष्टाचार के आरोपों पर अड़े हुए हैं और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से इस मामले की जांच की उनकी पार्टी की मांग बरकरार है.

कांग्रेस नेता के खिलाफ नोटिस में भाजपा के सदस्यों ने उस भाषण का हवाला दिया है जिसमें गांधी ने तंज कसते हुए कहा था कि संप्रग सरकार ने 520 करोड़ रुपये की दर से विमान खरीदने पर सहमति जतायी थी, लेकिन जब भाजपा नीत राजग सरकार ने सौदे पर हस्ताक्षर किये तो कीमत जादू से 1600 करोड़ रुपये हो गयी. भाजपा सदस्यों ने विशेषाधिकार हनन नोटिस में आरोप लगाया, उक्त बयान पूरी तरह झूठा है. हम स्पष्ट तौर पर दोहराते हैं कि राहुल गांधी द्वारा की गयी कीमत की तुलना काल्पनिक आंकड़ा है जो गलत है और पूरी तरह झूठ है. यह सदन को गुमराह करने का प्रयास है.

भाजपा सदस्यों ने अदालत के आदेश का भी उल्लेख किया है और कहा कि सरकार ने सीलबंद लिफाफे में अदालत को मूल्य का तुलनात्मक चार्ट पेश किया है. अब लोकसभा अध्यक्ष नोटिस को लेने या नहीं लेने पर फैसला लेंगी. अगर वह नोटिस पर विचार करती हैं तो आगे की कार्रवाई के लिए विशेषाधिकार समिति को भेज सकती हैं.

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