कांग्रेस ने राफेल मुद्दे पर दोनों सदनों में विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया
नयी दिल्ली : कांग्रेस ने सोमवार को संसद के दोनों सदनों में राफेल मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस देकर इस बारे में जवाब देने की मांग की है कि सरकार ने उच्चतम न्यायालय में राफेल सौदे पर गलत जानकारी क्यों दी. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने उच्च […]
नयी दिल्ली : कांग्रेस ने सोमवार को संसद के दोनों सदनों में राफेल मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस देकर इस बारे में जवाब देने की मांग की है कि सरकार ने उच्चतम न्यायालय में राफेल सौदे पर गलत जानकारी क्यों दी.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने उच्च सदन के सभापति को नोटिस भेजा, वहीं लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा अध्यक्ष को नोटिस भेजा. निचले सदन में शून्यकाल में इस विषय पर अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि उन्हें विशेषाधिकार हनन के नोटिस मिले हैं और उनके विचाराधीन हैं. आजाद ने कहा, मैंने सरकार के खिलाफ, खासतौर पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है क्योंकि कानून मंत्रालय ने ही उच्चतम न्यायालय में हलफनामा पेश करने की मंजूरी दी. उन्होंने कहा, समझा जाता है कि हलफनामा प्रधानमंत्री के संज्ञान में था, जिसमें गलत जानकारी दी गयी. यह सरकार उच्चतम न्यायालय से भी झूठ बोल सकती है और उसे गलत हलफनामा भेज सकती है और इस तरह संसद और पूरे देश को गुमराह कर सकती है. हमें ऐसी सरकार पर कोई भरोसा नहीं है.
पार्टी प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि यह गंभीर मामला है क्योंकि उच्चतम न्यायालय के समक्ष गलत जानकारी अदालत की अवमानना है. उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को राफेल सौदे में अनियमितताओं के आरोप वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था कि फैसला लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में विमान सौदे पर कैग की रिपोर्ट का जिक्र किया था. उसने कहा कि कैग रिपोर्ट की पड़ताल संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) ने की थी. लेकिन, कांग्रेस ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार ने फ्रांस से विमान सौदे को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अदालत में गलत तथ्य पेश किये.
शनिवार को केंद्र ने शीर्ष अदालत से फैसले में सुधार की मांग करते हुए कहा कि उसके नोट को गलत तरह से लिये जाने से सार्वजनिक रूप से विवाद हुआ. केंद्र ने साफ किया कि उसने यह नहीं कहा कि कैग रिपोर्ट की पड़ताल पीएसी ने की या संशोधित अंश संसद के समक्ष रखा गया. सरकार ने साफ किया कि नोट में कहा गया था कि सरकार ने मूल्य का विवरण पहले ही कैग के साथ साझा कर दिया है, जो भूतकाल में लिखा था और तथ्यात्मक रूप से गलत है.