एचइसी की कमान एटॉमिक एनर्जी के हाथ में देने की तैयारी में केंद्र सरकार

अंजनी कुमार सिंह, नयी दिल्ली : हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचइसी) को निजी हाथों में सौंपने की बजाय यह सरकारी उपक्रम बना रहे, इस दिशा में केंद्र सरकार तेजी से काम कर रही है. यदि सब कुछ ठीक रहा, तो जल्द ही इसका मालिकाना हक बदलकर इसे फिर से दूसरे सरकारी उपक्रम का हिस्सा बना दिया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 18, 2018 1:10 AM
अंजनी कुमार सिंह, नयी दिल्ली : हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचइसी) को निजी हाथों में सौंपने की बजाय यह सरकारी उपक्रम बना रहे, इस दिशा में केंद्र सरकार तेजी से काम कर रही है. यदि सब कुछ ठीक रहा, तो जल्द ही इसका मालिकाना हक बदलकर इसे फिर से दूसरे सरकारी उपक्रम का हिस्सा बना दिया जायेगा. यदि ऐसा होता है, तो घाटे में चल रहा एचइसी को फिर से पुनजीर्वित करने के लिए सरकार इसमें भारी-भरकम निवेश करेगी.
मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक भारी उद्योग मंत्रालय की बजाय एचइसी का संचालन देश का एटॉमिक एनर्जी विभाग कर सकता है. इस बाबत कुछ दिन पहले डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी (डीएइ) ने एचइसी प्लांट का निरीक्षण किया था और इसे देश की जरूरत बताते हुए अधिग्रहण के प्रस्ताव को हरी झंडी दी थी.
नयी दिल्ली में सोमवार को भारी उद्योग मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एचइसी के शीर्ष अधिकारियों की बैठक हुई. जिसमें कोयला मंत्रालय, इस्पात मंत्रालय और खनन मंत्रालय के प्रतिनिधि भी शामिल हुए.
कंपनी के कायाकल्प से सरकार को होगा फायदा : सूत्रों का यह भी कहना है कि एटॉमिक एनर्जी की टीम ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि एचइसी ऐसे कई उपकरण बनाती है, जिसका प्रयोग न्यूक्लियर ऊर्जा को बढ़ावा देने में किया जाता है.
अगर इस कंपनी का निजीकरण किया गया तो ऐसे उपकरणाें को खरीदने के लिए भारी-भरकम राशि खर्च करनी होगी. ऐसे में इस कंपनी का कायाकल्प करने से भारत सरकार को फायदा होगा.
बताया जा रहा है कि सरकार की ओर से एटॉमिक एनर्जी को विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है, जिससे यह पता चले कि अधिग्रहण कितना फायदेमंद होगा. इन सारे पहलुओं और विभागों की राय जानने के बाद एटॉमिक एनर्जी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा, उसके बाद इस पर कैबिनेट की अंतिम मुहर लगेगी.
हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन को घाटे से उबारने की तैयारी
बैठक में एटॉमिक एनर्जी विभाग के अधिग्रहण के प्रस्ताव पर चर्चा की गयी. चूंकि एचइसी स्टील और कोयला मंत्रालय के लिए भी कई तरह के उपकरण बनाता है, इसलिए इन विभागों की भी राय मांगी गयी.
केंद्र सरकार पहले घाटे में चल रही एचइसी में विनिवेश का मन बना चुकी थी, लेकिन विनिवेश का विरोध और राष्ट्रीय हितों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सरकार इसमें निवेश पर विचार कर रही है.

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