जयपुर : अपने सबसे बड़े चुनावी वादे को पूरा करते हुए राजस्थान की नवनिर्वाचित अशोक गहलोत सरकार ने किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा बुधवार रात कर दी. इससे सरकारी खजाने पर लगभग 18000 करोड़ रुपये का बोझ आयेगा.
गहलोत ने मुख्यमंत्री बनने के दो दिन में ही यह बड़ी घोषणा की है. गहलोत ने मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभालने के पहले दिन वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में यह फैसला किया. उन्होंने बुधवार रात संवाददाताओं को बताया कि इसके तहत राज्य के किसानों का सहकारी बैंकों का सारा बकाया कर्ज माफ किया जायेगा. वहीं वाणिज्यिक, राष्ट्रीयकृत व ग्रामीण बैंकों में कर्ज माफी की सीमा दो लाख रुपये रहेगी. उन्होंने कहा कि कर्ज की गणना के लिए 31 नवंबर 2018 की समयसीमा तय की गयी है. सरकार के इस कदम से सरकारी खजाने पर करीब 18000 करोड़ रुपये का बोझ आयेगा. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान घोषणा की थी कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते ही दस दिन में किसानों का कर्ज माफ कर दिया जायेगा. गहलोत ने इसी सोमवार को अपने पद की शपथ ली थी. बुधवार को उन्होंने मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला और रात में इस कर्जमाफी की घोषणा की.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव अभियान के दौरान वादा किया था कि हमारी सरकार बनेगी, तो हम दस दिन में कर्ज माफ करेंगे. हमने अपने चुनाव घोषणा पत्र में भी यह बात रखी थी. इसी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए बुधवार को ही इस आशय के आदेश जारी कर दिये गये. उन्होंने कहा कि जिन किसानों ने सहकारी बैंकों से अल्पकालीन या फसली कर्ज ले रखा है उनका बाकी का कर्ज माफ होगा. वहीं, वाणिज्यिक, राष्ट्रीयकृत, ग्रामीण व अन्य बैंकों के कर्जदार किसानों का दो लाख रुपये तक कर्ज माफ होगा. यह कर्जमाफी किसानों की पात्रता के आधार पर होगी और इसके लिए 31 नवंबर 2018 की सीमा तय की गयी है. उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार किसानों के 50 हजार रुपये तक के कर्जमाफ करने के अपने वादे को भी पूरा नहीं की.
गहलोत के अनुसार, अपनी कर्जमाफी के तहत वसुंधरा सरकार को कुल 8,000 करोड़ रुपये को बोझ उठाना था, लेकिन वह 2,000 करोड़ रुपये ही चुकाकर 6,000 करोड़ रुपये का बोझ इस सरकार के लिए छोड़ गयीं. गहलोत ने इससे पहले मुख्यमंत्री कार्यालय में आला अधिकारियों के साथ विस्तृत विचार विमर्श किया.