नयी दिल्ली : कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की घटनाओं को लेकर देश में जोर पकड़ने वाले ‘मी टू’ अभियान और आश्रयगृह में यौन उत्पीड़न की घटनाओं ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को लगभग पूरे साल परेशान रखा.
बॉलीवुड अभिनेत्री तनुश्री दत्ता द्वारा नाना पाटेकर पर 2008 में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान उत्पीड़न करने का आरोप लगाये जाने के बाद से शुरू हुए भारत के ‘मी टू’ अभियान ने चर्चित चेहरों के खिलाफ अपनी शिकायत लेकर सामने आने वाली कई महिलाओं के साथ जोर पकड़ लिया था.
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने इस कदम का स्वागत किया और सभी राजनीतिक दलों एवं सरकारी कार्यालयों से ऐसी शिकायतों को देखने के लिए एक आंतरिक यौन उत्पीड़न समिति बनाने की अपील की. सरकार ने यौन उत्पीड़न पर मौजूदा कानून में खामियां देखने के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंत्रियों के एक समूह का गठन किया.
आश्रयगृह में रहने वाले नाबालिग बच्चों के कथित यौन उत्पीड़न की भयावह घटनाएं भी इस साल सामने आयीं. बिहार के मुजफ्फरपुर और उत्तर प्रदेश के देवरिया में आश्रयगृहों में कथित यौन उत्पीड़न की जानकारी सामने आने के बाद नाबालिग बच्चियों को छुड़ाया गया. इन दो मामलों ने ऐसे आश्रयगृहों में लड़कियों, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े कर दिये थे.
ऐसी घटनाओं के सामने आने के बाद गांधी ने देश के सभी आश्रयगृहों की ऑडिटिंग के आदेश दिये थे और बाल अधिकारों के शीर्ष निकाय राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अब तक करीब 3,000 आश्रयगृहों का निरीक्षण कर लिया है. साथ ही इस साल मंत्रालय और मिशनरीज ऑफ चैरिटी के बाल देखभाल गृहों के बीच के संबंधों में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिला.
इन बाल गृहों द्वारा कथित तौर पर अवैध रूप से गोद दिये जाने की बात सामने आने के बाद मेनका गांधी ने जुलाई में मदर टेरेसा संस्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी द्वारा चलाये जा रहे बाल देखभाल गृहों के तत्काल निरीक्षण का आदेश दिया था. लेकिन, अक्टूबर में उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी को गोद देने की सरकारी व्यवस्था में फिर से शामिल होने को कहा.
इसके अलावा भारत का पहला विस्तृत मानव तस्करी रोधी विधेयक लोकसभा में पारित किया गया. साथ ही सरकार ने शादी करने के बाद फरार हो जाने वाले एनआरआई पतियों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए ऐसे 33 लोगों के पासपोर्ट रद्द किये. इतना ही नहीं, एनआरआई शादियों का सात दिन के भीतर अनिवार्य पंजीकरण का प्रस्ताव भी दिया गया.
इस साल पोषण अभियान के तहत विभिन्न पहलों को मूर्त रूप दिया गया. इस कार्यक्रम का मकसद बच्चों में कुपोषण, अनीमिया और जन्म के वक्त कम वजन, लंबाई न बढ़ने जैसी समस्याओं को कम करना है.