संसद में गतिरोध बरकरार, हंगामे के बीच लोस में दो विधेयक पारित

नयी दिल्ली : संसद में राफेल सहित विभिन्न मुद्दों पर अलग-अलग दलों के हंगामे के कारण लगातार सातवें दिन बृहस्पतिवार को भी गतिरोध बना रहा. लोकसभा में हंगामे के बीच ही दो महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया गया. हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद और राज्यसभा की बैठक शुरू […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2018 8:02 PM

नयी दिल्ली : संसद में राफेल सहित विभिन्न मुद्दों पर अलग-अलग दलों के हंगामे के कारण लगातार सातवें दिन बृहस्पतिवार को भी गतिरोध बना रहा. लोकसभा में हंगामे के बीच ही दो महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया गया. हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद और राज्यसभा की बैठक शुरू होने के महज दस मिनटों के भीतर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी.

दोनों ही सदनों में हंगामे के कारण प्रश्नकाल और शून्यकाल सुचारू रूप से नहीं चल पाये. लोकसभा में सुबह कार्यवाही आरंभ होने पर राफेल मामले की जांच के लिए जेपीसी के गठन की मांग करते हुए कांग्रेस के सदस्य अध्यक्ष के आसन के पास आ गये. तेदेपा सदस्य भी आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते हुए हाथों में तख्तियां लेकर आसन के पास आ गये. हंगामे के बीच सदन में एक प्रश्न पर पूरक प्रश्न के उत्तर दिये गये. इस बीच लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने आसन के समक्ष हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थान पर जाने और सदन की बैठक चलने देने का आग्रह किया. हंगामा थमता नहीं देख उन्होंने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. बैठक फिर शुरू होने पर भाजपा के कुछ सदस्य भी अध्यक्ष के आसन के निकट पहुंचकर नारेबाजी करने लगे. वे राफेल मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले की पृष्ठभूमि में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से माफी की मांग कर रहे थे.

इस बीच कांग्रेस के सदस्य राफेल मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग करते हुए नारेबाजी करते रहे. इसी दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 के लिए अनुदान की पूरक मांगें दूसरा बैच दर्शाने वाला एक विवरण पेश किया. जेटली ने सदन में कंपनी (संशोधन) विधेयक-2018 भी पेश किया. शोर-शराबे के बीच अन्नाद्रमुक केपी वेणुगोपाल ने कावेरी नदी पर बांध और राजद के जयप्रकाश नारायण यादव एवं राजद से निष्कासित राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बिहार में सूखे की स्थिति का मुद्दा उठाने का प्रयास किया. हंगामे के कारण अध्यक्ष ने बैठक को दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. दो बार के स्थगन के बाद बैठक जब फिर शुरू हुई तो केंद्रीय खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2018 को चर्चा के लिए रखते हुए इस विधेयक के बारे में जानकारी दी.

इसी दौरान कांग्रेस के सदस्य फिर से आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे. तेदेपा के एम श्रीनिवास राव अपनी पार्टी से अकेले आसन के समीप खड़े थे. शोर-शराबे के बीच सदन में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पर चर्चा पूरी हुई और इसे पारित किया गया. इसके बाद हंगामे के बीच ही ‘राष्ट्रीय स्वपरायणता (आटिज्म) प्रमस्तिष्क घात (सेरिब्रल पेलिसी), मानसिक मंदता (मेंटल रिटार्डेशन) और बहु-निशक्तताग्रस्त (मल्टीप्ल डिसेबिल्टीज) कल्याण न्यास (संशोधन) विधेयक 2018′ को हंगामे में पारित किया गया. विधायी कार्यसूची के तहत तीन तलाक विरोधी मुस्लिम विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक पर बृहस्पतिवार को चर्चा होनी थी. लेकिन, सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के आग्रह पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसे 27 दिसंबर की कार्यसूची में शामिल करने का फैसला किया.

राज्यसभा में चल रहा गतिरोध बृहस्पतिवार को भी यथावत रहा और राफेल सहित विभिन्न मुद्दों पर हंगामे की वजह से उच्च सदन की बैठक शुरू होने के करीब दस मिनट बाद ही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी. उच्च सदन में आंध्रप्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे सदस्यों के साथ ही अन्नाद्रमुक और द्रमुक के सदस्य आसन के समक्ष आकर अपनी मांगों के पक्ष में नारे लगाने लगे. उनके हाथों में तख्तियां थीं. विपक्षी कांग्रेस और सत्ताधारी भाजपा के कई सदस्य आसन के समक्ष नहीं आये, लेकिन वे अपने पक्ष की अगली सीटों के पास आकर नारेबाजी कर रहे थे. कांग्रेस सदस्य जहां राफेल विमान सौदे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित किये जाने की मांग कर रहे थे, वहीं भाजपा के सदस्य राफेल मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था के आलोक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से माफी की मांग कर रहे थे.

अन्नाद्रमुक और द्रमुक सदस्यों का विरोध कावेरी पर बांध निर्माण को लेकर था. आंध्र प्रदेश के सदस्य अपने राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रहे थे. सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों से कहा कि पूरा देश यह सब देख रहा है. उन्होंने कहा, कई मुद्दे लंबित हैं, विधेयक भी हैं. हमें कुछ राज्यों में चक्रवात के कारण हुए विनाश पर भी चर्चा करनी है. उन्होंने कहा, कृषि, महंगाई, चक्रवात के कारण हुई तबाही और राफेल सहित कई अहम मुद्दे हैं. राफेल मुद्दे पर चर्चा के लिए एक नोटिस दिया गया है. सभी मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है. कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित किये जाने हैं. राफेल सहित किसी मुद्दे पर सरकार को कोई आपत्ति नहीं है और चर्चा की जा सकती है.

नायडू ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और सदन की कार्यवाही चलने देने की अपील की. लेकिन, सदन में व्यवस्था न बनते देख उन्होंने 11 बज कर करीब 10 मिनट पर ही बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी. इससे पहले, बैठक शुरू होने पर नायडू ने कहा कि बुधवार को संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने एक मुद्दा उठाते हुए मांग की थी कि सदन की कार्यवाही के रिकाॅर्ड की जांच की जाये. नायडू के अनुसार, गोयल ने मांग की थी कि कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा ने उनके बारे में जो टिप्पणी की थी, उसे वह वापस लें. नायडू ने कहा कि 18 दिसंबर को भोजनावकाश के बाद सदन में कामकाज के दौरान आनंद शर्मा ने नियम 238 के तहत व्यवस्था का प्रश्न उठाया था. शर्मा ने कहा था कि राफेल विमान सौदे के मुद्दे पर हंगामे के दौरान गोयल ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिया था, जबकि राहुल लोकसभा के सदस्य हैं.

नायडू के अनुसार, 19 दिसंबर को गोयल ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष का नाम नहीं लिया था. गोयल ने शर्मा से उनकी टिप्पणी वापस लेने की मांग की थी. गोयल ने उनसे (नायडू से) 18 दिसंबर की कार्यवाही के रिकॉर्ड की जांच करने की मांग की थी. सभापति ने कहा कि उन्होंने कार्यवाही के रिकॉर्ड की जांच की और पाया कि गोयल ने राहुल गांधी का नाम नहीं लिया था. उन्होंने कहा, गोयल ने सही कहा था कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष का नाम नहीं लिया था. शर्मा ने कहा कि वह आसन की व्यवस्था का सम्मान करते हैं, लेकिन एक बात की ओर आसन का ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि 18 दिसंबर को भोजनावकाश के बाद कार्यवाही के दौरान सदन में खूब हंगामा हो रहा था. सत्ताधारी दल के सदस्यों के हाथों में तख्तियां थीं जिन पर राहुल गांधी से माफी की मांग की गयी थी. सत्ताधारी दल के सदस्यों ने कांग्रेस अध्यक्ष का नाम लेकर, उनसे माफी की मांग करते हुए नारे लगाये थे. इस पर नायडू ने कहा कि रिकार्ड में स्पष्ट है. गोयल ने जो कुछ कहा, वह सही प्रतीत होता है.

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