सिविल सेवा : घटेगी उम्र सीमा, 30 की जगह 27 साल करने की सिफारिश

नयी दिल्ली : केंद्र सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने सिविल सेवा की परीक्षाओं को लेकर कई अहम बदलाव के सुझाव दिये हैं. नीति आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने वोले सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए अधिकतम आयु सीमा 27 साल किये जाने की सिफारिश की है. अभी सामान्य वर्ग के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2018 7:02 AM

नयी दिल्ली : केंद्र सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने सिविल सेवा की परीक्षाओं को लेकर कई अहम बदलाव के सुझाव दिये हैं. नीति आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने वोले सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए अधिकतम आयु सीमा 27 साल किये जाने की सिफारिश की है. अभी सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए यह 30 साल है. आयोग ने 2022-23 तक इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने की वकालत की है. फिलहाल, चयनित उम्मीदवारों की औसम आयु साढ़े 25 साल है. भारत की एक-तिहाई से ज्यादा आबादी की उम्र इस समय 35 साल से कम है.

आयोग ने अपनी रिपोर्ट ‘नये भारत के लिए रणनीति@75’ में एक और सुझाव दिया है. इसमें कहा गया है कि केंद्र तथा राज्य स्तर पर फिलहाल 60 से अधिक अलग-अलग सिविल सेवाएं हैं. सेवाओं को युक्तिसंगत बनाने और तालमेल के जरिये इनकी संख्या कम किये जाने की जरूरत है. आयोग ने कहा है कि सिविल सेवाओं के लिए परीक्षाओं की संख्या एक के स्तर पर लायी जानी चाहिए. इसमें अखिल भारतीय रैंकिंग की जानी चाहिए.

सेंट्रल टैलेंट पूल से हो नियुक्ति

आयोग ने कहा है कि सिविल सेवा में भर्तियां सेंट्रल टैलेंट पूल के आधार पर ही होनी चाहिए. इसके बाद उम्मीदवारों की क्षमता और रोजगार की जरूरत के आधार पर उनका आवंटन किया जाना चाहिए. राज्यों को भी इस पूल से नियुक्तियों के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

नौकरशाही में लेटरल इंट्री

आयोग ने नौकरशाही में उच्च स्तर पर विशेषज्ञों की लेटरल इंट्री किये जाने की सिफारिश की है. ऐसा करने से उनके अनुभव का ज्यादा-से- ज्यादा इस्तेमाल किया जा सकेगा. साथ ही स्वायत्त निकायों में कर्मचारियों की सेवा शर्तों को नियमित करने और उनमें तालमेल बनाने की जरूरत बतायी है.

आयोग ने 2022 तक शिक्षा पर जीडीपी का प्रतिशत दोगुना कर कम-से-कम छह फीसदी करने की हिमायत की है. फिलहाल, शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र और राज्यों का आवंटन जीडीपी के तीन फीसदी के करीब है, जबकि विश्व बैंक के मुताबिक इसकी वैश्विक औसत 4. 7 फीसदी है.

शिक्षकों के लिए कठिन योग्यता जांच हो

आयोग ने शिक्षकों के लिए कठिन योग्यता जांच के जरिये न्यूनतम मानदंड जैसे सुधार भी शिक्षा क्षेत्र में लागू करने का समर्थन किया है. संस्थानों को मान्यता देने के लिए एक पारदर्शी और कठिन योग्यता जांच विकसित करने की सिफारिश की गयी है. आयोग ने कहा कि विशेष रूप से तैयार एक एप्टीट्यूड जांच नौवीं कक्षा में अवश्य ही की जाए और इसकी 10वीं कक्षा में फिर से जांच की जाए, जिसके आधार पर छात्रों को ‘नियमित’ ट्रैक बनाम ‘एडवांस ट्रैक’ का विकल्प चुनने दिया जायेगा.

ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा ले सकता है डीयू

दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले लेने के इच्छुक विद्यार्थियों की राह अब थोड़ी मुश्किल हो सकती है. दरअसल, अगले साल से एडमिशन के लिए 12वीं कक्षा के नंबर ही काफी नहीं होंगे, बल्कि परीक्षा की प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ सकता है. विवि ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा लेगा, जिससे उच्च अंक नहीं प्राप्त करने वाले छात्र भी दिल्ली डीयू में अध्ययन का मौका पा सकें.

न्यायाधीशों के लिए राष्ट्रीय परीक्षा

आयोग ने कहा िक न्यायपालिका में उच्च मानक कायम रखने के लिए रैंकिंग पर आधारित अखिल भारतीय न्यायिक सेवा परीक्षा का आयोजन करना चाहिए. इसकी जिम्मेदारी यूपीएससी को दी जा सकती है.

इसके (परीक्षा) जरिये निचली न्यायपालिका के न्यायाधीशों, भारतीय विधि सेवा (केंद्र और राज्य दोनों) अधिकारियों, अभियोजकों, विधि सलाहकारों और विधि रचनाकारों की नियुक्ति हो सकती है. इस कदम से युवा और उज्ज्वल विधि स्नातक आकर्षित होंगे. ऐसे नये अधिकारियों की नियुक्ति में मदद मिलेगी, जिनसे शासन प्रणाली में जवाबदेही बढ़ायी जा सके. सरकार अतीत में राष्ट्र स्तरीय न्यायिक सेवा का प्रस्ताव रख चुकी है, लेकिन नौ उच्च न्यायालयों ने निचली न्यायपालिका के लिए अखिल भारतीय सेवा के प्रस्ताव का विरोध किया. आठ अन्य उच्च न्यायालयों ने प्रस्तावित ढांचे में बदलाव का अनुरोध किया, जबकि केवल दो ने इस विचार का समर्थन किया.

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