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कर्नाटक : गठबंधन की राजनीति, त्रासदी का साल रहा 2018

बेंगलुरू : साल 2018 का अंतिम सप्ताह चल रहा है. कुछ ही दिनों के बाद हम नये साल में प्रवेश कर जायेंगे और पुरानी यादों के साथ नये काम में लग जायेंगे. इस बीच हम कुछ पुरानी यादें आपसे साझा कर लें. यहां हम आपको कर्नाटक में इस साल हुए घटनाक्रम के बारे में बताने […]

बेंगलुरू : साल 2018 का अंतिम सप्ताह चल रहा है. कुछ ही दिनों के बाद हम नये साल में प्रवेश कर जायेंगे और पुरानी यादों के साथ नये काम में लग जायेंगे. इस बीच हम कुछ पुरानी यादें आपसे साझा कर लें. यहां हम आपको कर्नाटक में इस साल हुए घटनाक्रम के बारे में बताने जा रहे हैं. सूबे में विधानसभा चुनाव में रोचक मुकाबले के बाद सरकार बनाने के लिए लंबी जद्दोजहद चली और गठबंधन को लेकर भी लगातार चिंता बनी रही. राज्य के लोगों को विनाशकारी बाढ़ का भी सामना करना पड़ा. राज्य में 12 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर गहमागहमी रही और साल का अंत दो दुखद हादसे के साथ हो रहा है. एक जगह बस हादसे में 30 लोगों की मौत हो गयी.

वहीं, मंदिर में जहरीला प्रसाद खाने से 15 निर्दोष लोगों की जान चली गयी. अगले साल लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा नीत राजग के खिलाफ ‘‘समान विचार वाले धर्मनिरपेक्ष दल” साथ आने की कोशिश में जुटे रहे। मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह में विपक्षी नेताओं ने शिरकत की थी. खंडित जनादेश आने के बाद सत्ता के लिए कांग्रेस और जेडीएस साथ आ गये. चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आयी थी लेकिन बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच पायी.

भाजपा पर सरकार को अस्थिर करने और सत्ता में लौटने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों को अपने पाले में लाने के कथित प्रयास का भी आरोप लगा. राज्य के लिए अलग ध्वज और प्रभावशाली लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा प्रदान करने की कर्नाटक सरकार की कोशिश भी विवादों में घिर गयी. वर्षांत में केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सी के जाफर शरीफ और वरिष्ठ नेता एम एच अंबरीश का कुछ दिनों के अंतराल पर नवंबर में निधन हो गया. कर्नाटक का तमिलनाडु और गोवा के साथ क्रमश: कावेरी और महदयी को लेकर विवाद इस साल भी जारी रहा. कावेरी पर मेकदातू में प्रस्तावित जलाशय को लेकर दक्षिणी पड़ोसी राज्य ने फिर से अदालत का रूख किया.

मैसूर के 18 वीं सदी के शासक टीपू सुल्तान की जयंती को लेकर इस साल भी विवाद हुआ. बेंगलुरू पुलिस की विशेष जांच टीम ने पत्रकार-कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या के लिए कुछ दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया. सुचारू प्रशासन के लिए कुमारस्वामी सरकार ने कुछ सरकारी कार्यालयों को उत्तरी क्षेत्र में भेजने का फैसला किया. बेंगलुरू मुख्यालय वाले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए यह साल मिला-जुला रहा। अंतरिक्ष एजेंसी ने इस साल सात कामयाब परीक्षण किया। एजेंसी को अपने मिशन में झटका भी लगा जब 29 मार्च को प्रक्षेपण के दो दिनों बाद उसके संचार उपग्रह का सैन्य अनुप्रयोग-जीसैट-6 ए से संपर्क खत्म हो गया.

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश के कारण राजनीतिक तौर पर अस्थिरता रही। राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 104 सीटें मिली जबकि कांग्रेस और जद(एस) ने क्रमश: 78 और 37 सीटों पर जीत हासिल की. राज्यपाल वजूभाई वाला ने मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वाई एस येदियुरप्पा को शपथ दिलायी थी, आसन्न हार के कारण लेकिन शक्ति परीक्षण के पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया.

‘‘सांप्रदायिक भाजपा” को सत्ता से बाहर रखने के लिए कांग्रेस के समर्थन से जेडी (एस) ने सरकार बनायी और कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने और सदन में अपना बहुमत साबित किया। कुमारस्वामी सरकार ने किसानों का 45,000 करोड़ रूपये कर्ज माफ करने की घोषणा की. हालांकि विपक्ष ने इसके क्रियान्वयन पर संदेह प्रकट किया. गठबंधन बाद के उपचुनावों में अधिकतर में जीत दर्ज करने में कामयाब रहा. केरल में प्राकृतिक आपदा के दौरान तटीय कर्नाटक तथा कोडागू क्षेत्र में बाढ़ की तबाही का भी सामना करना पड़ा. कोडागू में करीब 20 लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग विस्थापित हुए. मंड्या जिले में 24 नवंबर को सड़क हादसे में 30 यात्रियों की मौत हो गयी.

चमराजनगर जिले के सुलिवाडी गांव में किच्चूगुट्टी मरम्मा मंदिर में प्रसाद खाने के कारण 15 लोगों की मौत हो गयी और विभिन्न अस्पतालों में 100 से ज्यादा लोगों का इलाज अभी भी चल रहा है.

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