गहलोत मंत्रिमंडल के विस्तार में कई वरिष्ठों को जगह नहीं, जातीय समीकरण पर ध्यान

जयपुर : राजस्थान में नयी सरकार में कई जाने पहचाने व दिग्गज चेहरों को जगह नहीं मिल पायी है. उम्मीद की जा रही है कि सरकार अब इन्हें संवैधानिक पदों पर बैठा सकती है. कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के पहले मंत्रिमंडल के 23 मंत्रियों को सोमवार को यहां शपथ दिलायी गयी. इनमें 13 कैबिनेट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 24, 2018 6:26 PM

जयपुर : राजस्थान में नयी सरकार में कई जाने पहचाने व दिग्गज चेहरों को जगह नहीं मिल पायी है. उम्मीद की जा रही है कि सरकार अब इन्हें संवैधानिक पदों पर बैठा सकती है. कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के पहले मंत्रिमंडल के 23 मंत्रियों को सोमवार को यहां शपथ दिलायी गयी. इनमें 13 कैबिनेट व 10 राज्यमंत्री शामिल हैं.

मुख्यमंत्री गहलोत के साथ शपथ लेनेवाले पायलट को उप-मुख्यमंत्री बनाया गया है. 18 नये चेहरों के साथ किये गये इस मंत्रिमंडल विस्तार में कई दिग्गज चेहरों को जगह नहीं दी गयी है. इनमें कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी, हेमाराम चौधरी, दीपेंद्र सिंह शेखावत, परसराम मोरदिया, राजेंद्र पारीक, अशोक बैरवा, महेश जोशी, डाॅ जितेंद्र सिंह, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, बृजेंद्र ओला व राज कुमार शर्मा प्रमुख हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि गहलोत ने अपनी सरकार में 2019 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए अनुभव व युवाओं के बीच तालमेल साधने की कोशिश की है. राज्य के 25 में लगभग 18 संसदीय क्षेत्रों को इस मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिला है.

जानकारों के अनुसार, कांग्रेस मंत्री पद से वंचित रहे कुछ प्रमुख चेहरों को विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मुख्य सचेतक व उप-मुख्य सचेतक जैसे संवैधानिक पद दिया जा सकता है. हालांकि, पार्टी की ओर से इस बारे में आधिकारिक रूप से अभी कुछ संकेत नहीं दिया गया है. उल्लेखनीय है कि अशोक गहलोत ने 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उस दिन सचिन पायलट को भी शपथ दिलायी गयी जो उप-मुख्यमंत्री बने हैं.

अशोक गहलोत मंत्रिमंडल के विस्तार में आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए राज्य के जातीय समीकरणों को साधने की भी कोशिश की गयी है. मंत्रिमंडल के इस पहले विस्तार में जहां ‘36 बिरादरी’ को साथ लेकर चलने की गहलोत की सोच दिखती है, वहीं इसमें नये चेहरों के जरिये भी संकेत देने की कोशिश की गयी है. जातीय समीकरणों के हिसाब से मंत्रिमंडल विस्तार में सबसे ज्यादा चार-चार विधायक जाट व अनुसूचित जाति से मंत्री बने हैं. इसके बाद वैश्य, एसटी व ओबीसी समुदाय से तीन-तीन, राजपूत व ब्राह्मण समुदाय से दो-दो विधायकों को मंत्री बनाया गया है. पोखरण की चर्चित सीट पर भाजपा के महंत प्रतापपुरी को हरानेवाले सालेह मोहम्मद को भी राज्य मंत्री बनाया गया है.

गहलोत सरकार में पहली बार मंत्री बननेवालों में कांग्रेस के रघु शर्मा, लाल चंद, विश्वेंद्र सिंह, हरीश चौधरी, रमेश मीणा, प्रताप सिंह खाचरियावास, उदयलाल आंजना, सालेह मोहम्मद, गोविंद डोटासरा, ममता भूपेश, अर्जुन बामनिया, भंवर सिंह, सुखराम विश्नोई, अशोक चांदना, टीकाराम जूली, भजनलाल, राजेंद्र यादव हैं. वहीं, भरतपुर से गठबंधन सहयोगी आरएलडी के विधायक सुभाष गर्ग को भी मंत्री बनाया गया है. राज्य में गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल में तीन पूर्व सांसदों ने भी मंत्री पद की शपथ ली है. पूर्व सांसद हरीश चौधरी, लालचंद कटारिया और रघु शर्मा को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. लालचंद कटारिया पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में ग्रामीण राज्यमंत्री रह चुके हैं. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद जीतनेवाले विधायक रमेश मीणा, गोविंद डोटासरा, भंवर सिंह भाटी, सुखराम विश्नोई, अशोक चांदना और राजेंद्र यादव को मंत्रिमंडल में मौका दिया गया है.

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