भोपाल/जयपुर/लखनऊ : मध्यप्रदेश सरकार ने भारत बंद के दौरान दोनों राज्यों में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान दलितों के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमे वापस लेने का फैसला किया है. यही नहीं दलितों पर बीते 15 सालों में दर्ज हुए इस तरह के अन्य केसों को भी वापस लिया जायेगा. हालांकि, इन मामलों को वापस लिये जाने की बसपा प्रमुख मायावती की मांग पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि यह मांग स्वाभाविक है और इसकी समीक्षा की जायेगी.
माना जा रहा है कि दोनों राज्यों की कांगेस सरकार ने यह फैसला बसपा प्रमुख मायावती की उस धमकी के बाद लिया है जिसमें उन्होंने सोमवार को कहा था कि अगर मुकदमे वापस नहीं लिये गये, तो पार्टी दोनों राज्यों की सरकारों को दे रही समर्थन पर दोबारा विचार करेगी. गौरतलब है दोनों ही प्रदेशों की तत्कालीन भाजपा सरकार ने दलितों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराये थे.
गौरतलब है कि मायावती ने सोमवार को जारी एक बयान में आरोप लगाया था कि एससी-एसटी कानून 1989 व सरकारी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण की पूर्ण बहाली की मांग को लेकर दो अप्रैल,2818 को किये गये भारत बंद के दौरान उत्तर प्रदेश सहित भाजपा शासित राज्यों में से मध्य प्रदेश व राजस्थान में जातिगत और राजनीतिक द्वेष की भावना के तहत कार्रवाई की गयी थी और निर्दोष लोगों को फंसाया गया था. उन्होंने कहा था कि अब मध्य प्रदेश और राजस्थान की नयी कांग्रेस सरकारों को निर्दोष लोगों के खिलाफ दर्ज मामलों को तुरंत वापस लेना चाहिए और मुकदमों को खत्म करना चाहिए. मायावती की इस धमकी के बाद कांग्रेस की परेशानी बढ़ गयी थी.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार दो अप्रैल 2018 को आयोजित भारत बंद के सिलसिले में दलित समुदाय के लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमों की समीक्षा करेगी. इन मामलों को वापस लिये जाने की बसपा प्रमुख मायावती की मांग पर गहलोत ने कहा कि यह मांग स्वाभाविक है और इसकी समीक्षा की जायेगी. गहलोत ने संवाददाताओं से कहा, दलितों के खिलाफ मामले दर्ज किये गये और उनमें से कितने दोषी हैं यह जांच का मामला है. कई बार निर्दोषों के खिलाफ भी मामले हो जाते हैं. वह अपनी सोच में सही हो सकती हैं और सरकार इस पर विचार करते हुए मामलों की वरीयता के आधार पर समीक्षा करेगी.
उन्होंने कहा, निर्दोष नहीं फंसने चाहिए. गहलोत ने कहा कि देश, राज्य, जिला एवं गांव स्तर पर विधि का शासन होना चाहिए. गौरतलब है कि बसपा प्रमुख मायावती ने सोमवार को कहा था कि अगर दो अप्रैल 2018 को हुए ‘भारत बंद’ के सिलसिले में ‘निर्दोष’ लोगों के खिलाफ दर्ज मामले वापस नहीं लिये गये तो उनकी पार्टी मध्य प्रदेश और राजस्थान की कांग्रेस सरकारों को बाहर से दिये जा रहे समर्थन पर ‘पुनर्विचार’ करेगी. गौरतलब है कि मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस से सीटों को लेकर समझौता नहीं होने पर बसपा विधानसभा चुनाव अकेले लड़ी थी. बसपा को मध्यप्रदेश में दो और राजस्थान में छह सीटों पर जीत मिली थी. चुनाव में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने पर बसपा ने दोनों राज्यों में उसे बिना मांगे ही समर्थन देने के ऐलान किया था.