पीएम मोदी के इंटरव्यू के बाद राम मंदिर मुद्दे पर VHP ने कहा- हिंदू अनंत काल तक नहीं कर सकते इंतजार
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू के बाद राम मंदिर मुद्दे को लेकर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उसने कहा कि राम मंदिर का मुद्दा बीते 69 सालों से फंसा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट में अब तक जजों की बेंच भी नहीं बनी है जहां मामले की […]
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू के बाद राम मंदिर मुद्दे को लेकर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उसने कहा कि राम मंदिर का मुद्दा बीते 69 सालों से फंसा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट में अब तक जजों की बेंच भी नहीं बनी है जहां मामले की सुनवाई होनी है. वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि मामला काफी लंबे वक्त से कोर्ट में है और हिंदू अनंत काल तक मंदिर का इंतजार नहीं कर सकते हैं. प्रयागराज में लगनेवाले कुंभ मेले में 31 जनवरी को धर्म संसद होगी, जिसमें मौजूद संत आगे क्या किया जाए, इसपर फैसला लेंगे.
आगे वीएचपी ने कहा कि न्यायिक प्रकिया के पूरे होने से पहले कानून लाया जाना चाहिए. हम इस सरकार से संसद में कानून लाने का आग्रह करते रहेंगे. यहां चर्चा कर दें कि पीएम मोदी ने एक इंटरव्यू में मंगलवार को कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर पर अध्यादेश लाने पर कोई भी फैसला न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही हो सकता है लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने के वास्ते हरसंभव कोशिश करने के लिए तैयार है. मोदी की यह टिप्पणी आरएसएस समेत हिंदुत्व संगठनों की तेज होती उस मांग के बीच आयी है कि मंदिर के जल्द से जल्द निर्माण के लिए एक अध्यादेश लाया जाए.
क्या कहा है पीएम मोदी ने
प्रधानमंत्री मोदी ने कई टीवी चैनलों द्वारा प्रसारित किए गए एक साक्षात्कार में कहा कि न्यायिक प्रक्रिया को अपना काम करने दें. इसे राजनीतिक दृष्टि से ना तोलें. न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने दें. न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद सरकार के तौर पर हमारी जो भी जिम्मेदारी होगी उसके लिए हम हरसंभव कोशिश करने के लिए तैयार हैं.
आरएसएस की प्रतिक्रिया
इन टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए आरएसएस ने कहा कि लोगों को उम्मीद है कि मोदी सरकार राम मंदिर का निर्माण कराने के वादे को अपने कार्यकाल में पूरा करेगी क्योंकि भाजपा इसके लिए हर संभव कोशिश करने का वादा कर 2014 में सत्ता में आयी थी. सरकार का कार्यकाल मई में समाप्त हो जाएगा. आरएसएस ने मोदी की टिप्पणियों को राम मंदिर के निर्माण की दिशा में ‘‘सकारात्मक कदम’ बताते हुए कहा कि यह पालमपुर में 1989 में भाजपा द्वारा पारित एक प्रस्ताव की तरह है जिसमें भगवा पार्टी ने आपसी परामर्श या कानून लाकर निर्माण की प्रतिबद्धता जताई थी.
शिवसेना की प्रतिक्रिया
इधर, शिवसेना नेता संजय राउत ने हैरानी जताते हुए कहा कि क्या मोदी के लिए कानून भगवान राम से भी बड़ा है. शिवसेना नेता संजय राउत ने ट्वीट किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि राम मंदिर तत्काल (सुनवाई वाला) मामला नहीं है. मोदी ने भी कुछ अलग नहीं कहा. मैं उन्हें मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए बधाई देता हूं.’ उन्होंने कहा, ‘‘…(प्रधानमंत्री कहते हैं) राम मंदिर के लिए कोई अध्यादेश नहीं लाएंगे. इसका संवैधानिक अर्थ यह है कि भगवान राम कानून से बड़े नहीं हैं.’