कई केंद्रीय योजनाओं की संख्या घटाई जा सकती है:योजना आयोग
नयी दिल्ली : सरकार केंद्र समर्थित योजनाओं (सीएसएस) की संख्या और घटाने और इसका प्रारुप बदलने की संभावनाएं तलाश रही है. यह बात योजना आयोग ने कही.पिछले साल केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के दौरान मौजूदा सीएसएस-अतिरिक्त केंद्रीय सहायता (एसीए) योजनाओं को पुनर्गठित कर 66 योजनाओं में तब्दील करने फैसला किया था. आयोग […]
नयी दिल्ली : सरकार केंद्र समर्थित योजनाओं (सीएसएस) की संख्या और घटाने और इसका प्रारुप बदलने की संभावनाएं तलाश रही है. यह बात योजना आयोग ने कही.पिछले साल केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के दौरान मौजूदा सीएसएस-अतिरिक्त केंद्रीय सहायता (एसीए) योजनाओं को पुनर्गठित कर 66 योजनाओं में तब्दील करने फैसला किया था. आयोग ने नए योजना मंत्री राव इंदरजीत सिंह को अपनी प्रस्तुति में कहा ‘‘योजनाओं के प्रारुप में बदलाव और केंद्र संवर्धित योजनाओं की संख्या में कटौती की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं.’’ आयोग का मानना है कि राज्य योजना के तौर पर सीएसएस से पारदर्शिता और जवाबदेही बढाने में मदद मिलेगी.
पुनर्गठित योजनाओं में स्वास्थ्य, शिक्षा, सिंचाई, शहरी विकास, बुनियादी ढांचा और कौशल विकास से जुडी 17 प्रमुख कार्यक्रमों में हस्तक्षेप की जरुरत है. इससे पहले देश की नीतिनिर्माण संबंधी सर्वोच्च संस्थान, राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) ने दिसंबर 2012 को हुई बैठक में 12वीं योजना को मंजूरी देते हुए राज्यों की जरुरत के मुताबिक इन योजनाओं में लचीलापन प्रदान करने की भी सिफारिश की थी.कैबिनेट ने इस बात पर भी मंजूरी दी थी कि सीएसएस में राज्य विशेष से जुडे दिशानिर्देश हो सकते हैं और इन योजनाओं के संबंध में राज्यों के संचयी कोष के जरिये उन्हें सहायता प्रदान की जाएगी. इस तरह सीएसएस राज्य योजनाओं का हिस्सा है. एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक सीएसएस के पुनर्गठन के अलावा सरकार को विभिन्न सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की आपूर्ति सुधारने के लिए लोक वित्त प्रबंधन प्रणाली :पीएफएमएस: का भी उपयोग करना चाहिए.
पीएफएमएस मंत्रालयों और राज्यों को कोष जारी करने के संबंध में वास्तविक सूचना मुहैया कराता है. इससे केंद्र और राज्य के व्यय का भी समय पर आकलन किया जा सकता है. फिलहाल केंद्रीय योजनाओं के लिए जारी कोष को ऑनलाइन देखा जा सकता है. पीएफएमएस 2016-17 में पूरा होने पर विश्व की सबसे बड सार्वजनिक नेटवर्क होगा. राज्यों के स्तर पर इसे राष्ट्रीय तौर पर 2016-17 में पेश किया जाएगा.