नक्सली हर साल वसूलते हैं 80 से 100 करोड रुपये
रायपुर: विभिन्न स्त्रोतों से मिली जानकारी के मुताबिक, माओवादी केवल छत्तीसगढ़ राज्य से प्रतिवर्ष लगभग 80 से 100 करोड रुपए वसूलते हैं. छत्तीसगढ देश में माओवाद से सर्वाधिक प्रभावित राज्य है और इसका एक कारण माओवादियों को यहां से मिलने वाली बडी रकम है .राज्य के नक्सल प्रभावित राजनांदगांव जिले के सीतागांव और औधी के […]
रायपुर: विभिन्न स्त्रोतों से मिली जानकारी के मुताबिक, माओवादी केवल छत्तीसगढ़ राज्य से प्रतिवर्ष लगभग 80 से 100 करोड रुपए वसूलते हैं. छत्तीसगढ देश में माओवाद से सर्वाधिक प्रभावित राज्य है और इसका एक कारण माओवादियों को यहां से मिलने वाली बडी रकम है .राज्य के नक्सल प्रभावित राजनांदगांव जिले के सीतागांव और औधी के जंगल में इस वर्ष 4 मार्च को सुरक्षा बलों ने नक्सलियों द्वारा बनाया गया एक डंप बरामद किया था जिसमें 29 लाख रुपए थे. पुलिस ने नक्सलियों की इतनी बडी रकम पहली बार पकडी थी.
नक्सल प्रभावित इलाकों में ऐसे सैकडों डंप हैं जिनमें नक्सली अपनी रकम छिपा कर रखते हैं. डंप वास्तव में जमीन खोद कर बनाई गई एक टंकी होती है.छत्तीसगढ के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, देश के बडे नक्सली नेता इस राज्य पर इसलिए नजरें गडाए बैठे हुए हैं क्योंकि यहां से उन्हें भारी रकम मिलती है. विभिन्न माध्यमों से पुलिस को नक्सलियों द्वारा यहां से प्रति वर्ष 80 से 100 करोड रुपए की उगाही करने की जानकारी मिली है. इसकी पुष्टि पिछले दिनों पकडे गए दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता गुडसा उसेंण्डी उर्फ जीवीके प्रसाद ने भी की है.
अधिकारियों ने बताया कि नक्सली अपने प्रभाव वाले क्षेत्र की आम जनता से लगभग तीन करोड रुपए, व्यापारियों से लगभग 10 करोड रुपए, ठेकेदारों से लगभग 20 करोड रुपए, ट्रांसपोटरों से लगभग 10 करोड रुपए, तेंदूपत्ता ठेकेदारों से लगभग 20 करोड रुपए, बांस एवं जंगल काटने वाले ठेकेदारों से लगभग 15 करोड रुपए, प्रभाव क्षेत्र में रहने वाले उद्योगपतियों से लगभग 20 करोड रुपए तथा क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों से चंदे के रुप में लगभग दो करोड रुपए वसूलते हैं.