#QuotaBill : गरीब सवर्ण को 10% आरक्षण : संविधान संशोधन बिल लोकसभा से पास, पक्ष में 323 वोट

नयी दिल्‍ली : सामान्य वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा से मंजूरी मिल गयी है. आरक्षण के लिए लाये गये 124वें संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा में बहुमत के साथ पारित कर दिया गया. विधेयक के समर्थन में कुल 323 मत आये, जबकि इसके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 8, 2019 10:41 PM

नयी दिल्‍ली : सामान्य वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा से मंजूरी मिल गयी है. आरक्षण के लिए लाये गये 124वें संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा में बहुमत के साथ पारित कर दिया गया. विधेयक के समर्थन में कुल 323 मत आये, जबकि इसके विपक्ष में मात्र 3 मत ही आये.

इससे पहले मंगलवार को पूरे दिन बिल पर जोरदार चर्चा हुई, जिसमें कुछ पार्टियों को छोड़कर सभी दल ने गरीब सवर्णों को आरक्षण दिये जाने का समर्थन किया. हालांकि विपक्ष ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाया. आरजेडी ने बिल का विरोध किया और इसे मोदी सरकार का धोखा करार दिया. वहीं ओवैसी ने इसे बाबा साहब आंबेडकर और संविधान का अपमान बताया.

इससे पहले लोकसभा में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने संविधान (124 वां संशोधन) विधेयक, 2019 को चर्चा एवं पारित करने के लिये पेश किया.सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करने वाले संविधान संशोधन विधेयक को ‘सबका साथ, सबका विकास’ की दिशा में अहम कदम करार देते हुए मंगलवार को कहा कि यह एक ऐतिहासिक कदम है जिससे समाज में सामाजिक समरसता एवं समता का माहौल कायम होगा. उन्‍होंने कहा कि लम्बे समय से देश में जन प्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों ने इस दिशा में मांग की थी और संसद में भी प्रश्नों के माध्यम से मांग की गई और 21 बार निजी विधेयक के जरिये इस मुद्दे को आगे लाने की पहल की गई.

उन्होंने कहा कि मंडल आयोग ने भी सामान्य वर्ग के गरीबों को शिक्षा एवं सेवाओं में आरक्षण की बात कही थी. नरसिंह राव सरकार के शासनकाल में भी इस बारे में प्रयास किया गया, लेकिन उच्चतम न्यायालय में यह रूक गया.

गहलोत ने कहा कि अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस दिशा में पहल की है. उन्होंने कहा कि इसे आगे बढ़ाते हुए कानूनी विषयों को ध्यान में रखा गया है और इसी अनुरूप संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है. हमने सोच समझ कर संविधान संशोधन किया है ताकि अदालत में कोई चुनौती देने जाए तो उसकी बात सुनने की बजाए सरकार की बात सुनी जाए. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे ब्राह्मण, ठाकुर, बनिया, पटेल, जाट गुर्जर, ईसाई एवं अन्य धर्मावलंबी गरीब लोगों को लाभ मिलेगा.

उल्लेखनीय है कि इसके तहत सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करने का प्रस्ताव किया गया है.विधेयक पेश किये जाने के दौरान समाजवादी पार्टी के कुछ सदस्य अपनी बात रखना चाह रहे थे, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसकी अनुमति नहीं दी. विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि वर्तमान में नागरिकों के आर्थिक रूप से दुर्बल वर्ग, ऐसे व्यक्तियों से, जो आर्थिक रूप से अधिक सुविधा प्राप्त है. प्रतिस्पर्धा करने में अपनी वित्तीय अक्षमता के कारण उच्चतर, शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश और सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार पाने से अधिकांशत: वंचित रहे हैं.

अनुच्छेद 15 के खंड 4 और अनुच्छेद 16 के खंड 4 के अधीन विद्यमान आरक्षण के फायदे उन्हें साधारणतया तब तक उपलब्ध नहीं होते हैं जब तक कि सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन के निर्दिष्ट मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं.संविधान के अनुच्छेद 46 के अंतर्विष्ट राज्यों के नीति निर्देश तत्वों में यह आदेश है कि राज्य, जनता के दुर्बल वर्गो के विशिष्टतया अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की विशेष सावधानी से अभिवृद्धि करेगा और सामाजिक अन्याय एवं सभी प्रकार के शोषण से उनकी संरक्षा करेगा.

संविधान का तिरानेवां संशोधन अधिनियम 2005 द्वारा संविधान के अनुच्छेद 15 खंड 5 अंत:स्थापित किया गया था जो राज्य को नागरिकों के सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गो की उन्नति के लिये या अनुसूचित जातियों के संबंध में विशेष उपबंध करने के लिये समर्थ बनाता है.

इसमें कहा गया है कि फिर भी नागरिकों के आर्थिक रूप से दुर्बल वर्ग आरक्षण का फायदा लेने के पात्र नहीं थे. संविधान 124वां संशोधन विधेयक 2019 उच्चतर शैक्षणिक संस्थाओं में, चाहे वे राज्य द्वारा सहायता पाती हो या सहायता नहीं पाने वाली हो, समाज के आर्थिक रूप से दुर्बल वर्गो के लिये आरक्षण का उपबंध करने तथा राज्य के अधीन सेवाओं में आरंभिक नियुक्तियों के पदों पर उनके लिये आरक्षण का उपबंध करता है.

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