सामान्य वर्ग को आरक्षण : संसद से मंजूरी मिलने के अगले दिन सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

नयी दिल्ली : सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लिए नौकरियों और शिक्षा में दस फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करनेवाले संविधान संशोधन विधेयक को गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी. गैर सरकारी संगठन यूथ फॉर इक्वेलिटी और कौशल कांत मिश्रा ने याचिका में इस विधेयक को निरस्त करने का अनुरोध […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 10, 2019 4:34 PM

नयी दिल्ली : सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लिए नौकरियों और शिक्षा में दस फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करनेवाले संविधान संशोधन विधेयक को गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी.

गैर सरकारी संगठन यूथ फॉर इक्वेलिटी और कौशल कांत मिश्रा ने याचिका में इस विधेयक को निरस्त करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि एकमात्र आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता. याचिका में कहा गया है कि इस विधेयक से संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन होता है क्योंकि सिर्फ सामान्य वर्ग तक ही आर्थिक आधार पर आरक्षण सीमित नहीं किया जा सकता है और 50 फीसदी आरक्षण की सीमा लांघी नहीं जा सकती. याचिका में किसी परिवार की 8 लाख रुपये सालाना आय के पैमाने पर भी सवाल उठाया गया है.

राज्य सभा ने बुधवार को 124वें संविधान संशोधन विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से पारित किया था. सदन ने विपक्षी सदस्यों के पांच संशोधनों को अस्वीकार कर दिया. इससे पहले, मंगलवार को लोक सभा ने इसे पारित किया था. आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण का यह प्रावधान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों को मिलने वाले 50 फीसदी आरक्षण से अलग है.

बता दें कि सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण के भारतीय संविधान में 103वां संशोधन किया गया है. संविधान संशोधन बिल मंगलवार को लोकसभा में पास हुआ और उसके अगले दिन यानी बुधवार को राज्यसभा की भी इस पर मुहर लग गयी. राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद यह लागू हो जायेगा.

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