चेन्नई : मद्रास हाई कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम को राहत देते हुए शारदा चिटफंड मामले में सीबीआई की गिरफ्तारी से शनिवार को उन्हें फिलहाल राहत दे दी. उन्हें यह राहत तब तक हासिल रहेगी, जब तक उन्हें पश्चिम बंगाल में एक अदालत से अग्रिम जमानत नहीं मिल जाती. न्यायमूर्ति जीके इलान्तिरैयन ने नलिनी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते अंतरिम आदेश पारित किया.
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उन्होंने नलिनी को चार सप्ताह की अंतरिम जमानत दी और उन्हें यहां एगमोर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष आत्मसमर्पण करने और जमानत देने के निर्देश दिए. इसके बाद उन्हें पश्चिम बंगाल में अदालत का रुख करने और नियमित अग्रिम जमानत हासिल करने के निर्देश दिये गये.
विशेष लोक अभियोजक (प्रवर्तन निदेशालय) जी हेमा ने याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि अदालत को नलिनी की याचिका पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र का नहीं है. ईडी ने धनशोधन निरोधक कानून के तहत इस मामले में प्रवर्तन मामला प्राथमिकी रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की थी. वरिष्ठ वकील नलिनी ने गिरफ्तारी की आशंका से यह याचिका दायर की.
इससे एक दिन पहले सीबीआई ने कोलकाता की एक अदालत में उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर किया, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने शारदा समूह की कंपनियों से 1.4 करोड़ रुपये प्राप्त किये. ये कंपनियां चिटफंड घोटाले में शामिल हैं. नलिनी ने अपनी याचिका में कहा कि यह राशि पॉजीटिव टीवी के संबंध में मनोरंजन सिंह की तरफ से शारदा रियलिटी लिमिटेड ने वैध भुगतान किया था. उन्होंने कहा कि कथित चिटफंड घोटाले के संबंध में शारदा समूह के मालिक सुदिप्तो सेन और उनकी कंपनियों के खिलाफ सीबीआई के पूर्व आरोपपत्रों में उनका नाम नहीं है.
नलिनी की ओर से पेश वकील ने कहा कि पूर्ववर्ती आरोपपत्र के विपरीत 11 जनवरी को सीबीआई ने आईपीसी के तहत साजिश समेत अन्य अपराधों के लिए पश्चिम बंगाल के समक्ष छठा पूरक आरोपपत्र दायर किया, जिसमें घोटाले में उनके शामिल होने का आरोप लगाया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार राजनीतिक प्रतिशोध के कारण उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ झूठे मामले दायर करके केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है. सीबीआई ने आरोप लगाया था कि नलिनी ने सेन और अन्य आरोपियों के साथ मिलकर शारदा समूह की कंपनियों के फंड का गबन करने और धोखाधड़ी करने की साजिश रची.