Loading election data...

अब होटल कारोबार करेंगे CBI के पूर्व डायरेक्टर आलोक वर्मा!

नयी दिल्ली : एक विवादास्पद घटनाक्रम के बाद देश की शीर्ष जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) से बाहर किये गये और फिर भारतीय पुलिस सेवा से निवृत्ति लेने वाले आलोक कुमार वर्मा अब शायद अपने एक ‘पुराने शौक’ को तसल्ली से पूरा कर सकेंगे. अपनी निजी और पारिवारिक जिंदगी को बेहद पोशीदा रखने वाले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2019 3:04 PM

नयी दिल्ली : एक विवादास्पद घटनाक्रम के बाद देश की शीर्ष जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) से बाहर किये गये और फिर भारतीय पुलिस सेवा से निवृत्ति लेने वाले आलोक कुमार वर्मा अब शायद अपने एक ‘पुराने शौक’ को तसल्ली से पूरा कर सकेंगे.

अपनी निजी और पारिवारिक जिंदगी को बेहद पोशीदा रखने वाले वर्मा के करीबी लोगों का कहना है कि वर्मा को दिल्ली का वह हर गली-कूचा पता है, जहां सबसे बढ़िया कचौड़ियां, पकौड़ी, परांठें और मिठाइयां मिलती हैं.

इसे भी पढ़ें : Jharkhand : शिकारीपारा में 15 लाख का इनामी नक्सली ताला दा मुठभेड़ में मारा गया, देखें Exclusive PICS

दिल्ली पुलिस में उनके साथ काम कर चुके एक अधिकारी ने कहा, ‘एकदम दिल्ली वालों की तरह वर्मा खाने के बेहद शौकीन हैं.’ अगर पहले ही प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास न की होती, तो वह भी शायद अपने भाइयों के साथ होटल कारोबार में हाथ बंटा रहे होते.

प्रशासनिक गलियारों से आलोक वर्मा के परिवार का दूर-दूर का भी वास्ता नहीं रहा है. उनके दोनों बड़े भाई आरके वर्मा और पीके वर्मा होटल कारोबार में हैं. उन्होंने ही दिल्ली में चाइनीज फूड की पहली चेन ‘दी गोल्डन ड्रेगन’ स्थापित की.

इसे भी पढ़ें : फिर खून से ‘लाल’ हुई गुमला की काली सड़क, पेड़ से टकराया तेज रफ्तार ऑटो, एक की मौत 7 घायल

आलोक कुमार वर्मा का बचपन मध्य दिल्ली के करोल बाग इलाके में पूसा रोड की सरकारी कॉलोनी में बीता था. उन्होंने सिविल लाइंस इलाके में सेंट जेवियर स्कूल से अपनी पढ़ाई की और उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री ली. वह भले ही अपने भाइयों की तरह होटल कारोबार में नहीं गये, लेकिन अपने भाइयों की तरह वह खाने-पीने के शौकीन हैं.

आलोक कुमार वर्मा ने 22 साल की उम्र में पहले ही प्रयास में सिविल से वा परीक्षा पास कर ली थी और वह केंद्रशासित प्रदेश कैडर के 1979 बैच के सबसे युवा अधिकारी थे. दिल्ली पुलिस में उनके करीबी रहे अधिकारियों का कहना है कि वर्मा बहुत ही मृदुभाषी इंसान हैं और कभी सपने में भी नहीं सोचा जा सकता कि वह सार्वजनिक रूप से ऐसी किसी लड़ाई (सीबीआइ विवाद) में पड़ेंगे. लोग बताते हैं कि दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर रहते हुए वर्मा सरकारी बैठकों में भी बहुत संक्षेप में अपनी बात रखते थे और हमेशा मृदुभाषी रहते थे.

इसे भी पढ़ें : IN PICS : आग के शोले में तब्दील हो गया कंटेनर, लोगों की सांसें अटकीं, देखें Video

‘विशिष्ट सेवा’ के लिए वर्ष 2003 में राष्ट्रपति के पुलिस पदक से सम्मानित और 1979 बैच के अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित क्षेत्र (एजीएमयूटी) काडर के आइपीएस अधिकारी आलोक कुमार वर्मा पिछले दिनों चाहे कितने ही विवादों में क्यों न घिरे रहे हों, लेकिन अपने अधीनस्थ सहयोगियों के बीच वह बेहद लोकप्रिय रहे हैं.

फरवरी, 2016 में दिल्ली पुलिस आयुक्त का पद संभालने के बाद उन्होंने पुलिस बल में सालों से बंद पड़ी पदोन्नतियों का रास्ता साफ किया और साल 2016 में दिल्ली पुलिस के 26,366 कर्मचारियों को पदोन्नति दी गयी. वह तिहाड़ जेल के पुलिस महानिदेशक भी रहे, जहां उनके कार्यकाल को कई सुधारात्मक उपायों को लागू करवाने का श्रेय मिला.

Next Article

Exit mobile version