अहमदाबाद : गुजरातदेश का पहला राज्यहोगा जहां सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर तबके को सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा. इस संबंध में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा दी जानेवाली 10 फीसदी आरक्षण 14 जनवरी 2019 से लागू हो जायेगा.
इससे पहले शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिया था. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह विधेयक अब कानून बन गया है. केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी अधिसूचना में कहा गया कि संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गयी है. संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम के जरिये संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन किया गया है.
इसके जरिये एक प्रावधान जोड़ा गया है जो राज्य को नागरिकों के आर्थिक रूप से कमजोर किसी तबके की तरक्की के लिए विशेष प्रावधान करने की अनुमति देता है. यह विशेष प्रावधान निजी शैक्षणिक संस्थानों सहित शिक्षण संस्थानों, चाहे सरकार द्वारा सहायता प्राप्त हो या न हो, में उनके दाखिले से जुड़ा है. हालांकि यह प्रावधान अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों पर लागू नहीं होगा. इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह आरक्षण मौजूदा आरक्षणों के अतिरिक्त होगा और हर श्रेणी में कुल सीटों की अधिकतम 10 फीसदी सीटों पर निर्भर होगा. इससे जुड़ा विधेयक नौ जनवरी को संसद से पारित किया गया था.
अधिसूचना के मुताबिक, इस अनुच्छेद और अनुच्छेद 16 के उद्देश्यों के लिए आर्थिक रूप से कमजोर तबके वे होंगे जिन्हें सरकार समय-समय पर पारिवारिक आय और प्रतिकूल आर्थिक स्थिति के अन्य मानकों के आधार पर अधिसूचित करेगी. अनुच्छेद 16 के संशोधन में कहा गया, इस अनुच्छेद में कोई भी चीज राज्य को धारा (4) में शामिल वर्गों के अलावा नागरिकों के आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के पक्ष में नियुक्तियों या पदों के आरक्षण के लिए कोई प्रावधान करने से नहीं रोकेगा. यह मौजूदा आरक्षण के अतिरिक्त होगा और हर श्रेणी में अधिकतम 10 फीसदी पदों पर निर्भर करेगा.
गौरतलब है कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षतावाली कैबिनेट ने आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण लागू करने के बिल को मंजूरी दी थी. इसके बाद बिल को संसद के दोनों सदनों में पेश किया गया जहां से यह बहुमत से पारित हो गया. इसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया, जिसे शनिवार को राष्ट्रपति ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही अब यह बिल कानून बन गया. इस बिल पर अमल करनेवालागुजरात देश का पहला राज्यबनजायेगा.
इस बिल के तहत 8 लाख रुपये से कम वार्षिक आयवाले सामान्य वर्ग के लोगों को आरक्षण का लाभ मिलेगा.इसकेलिए आय प्रमाण पत्र देना होगा. आय प्रमाण तहसील और जनसेवा केंद्र से बनवाया जा सकता है. इसके अलावा जाति प्रमाण पत्र भी देना होगा. इसके अलावा इनकम टैक्स रिटर्न के दस्तावेज भी देने होंगे.