ओशो रजनीश एक ऐसे आध्यात्मिक गुरु माने जाते हैं जिनके साथ काफी विवाद जुड़ा रहा, लेकिन उनकी खासियत यह थी कि उन्होंने दबे-छिपे कुछ नहीं किया. उनके पास गहन अध्ययन अध्ययन था और वे काफी प्रगतिशील सोच रखते थे. उन्होंने अपने प्रवचनों में सभी धर्मों पर आघात किया और अंधविश्वास का विरोध करते हुए वास्तविकता में जीने की वकालत की.
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11 दिसंबर, 1931 को मध्य प्रदेश के एक गांव में एक जैन परिवार में रजनीश का जन्म हुआ था. वे बचपन से ही परंपरा तोड़ते रहे थे और विद्रोही किस्म के थे और ईश्वर में उनका विश्वास नहीं था. वे संस्कृत और दर्शनशास्त्र के लेक्चरर रहे थे. कहा जाता है कि उनके भाषणों में एक अद्भुत आकर्षण होता था जिसके कारण वे लोगों का अपना मुरीद बना लेते थे. उनके काफी अनुयायी अमेरिकी थे, जब अमेरिका में उनके अनुयायी बहुत बढ़ गये, तो अमेरिकी सरकार ने उन्हें देश छोड़ने का आदेश दिया था. 19 जनवरी 1990 में उनका देहांत हुआ.
ओशो ने कई किताबें लिखीं, जिनके विचार काफी प्रगतिशील और लोगों ने उन्हें काफी पसंद भी किया है. प्रमुख रचनाएं हैं -कृष्ण स्मृति और गीता दर्शन,एस धम्मो सनंतनो,महावीर वाणी एवं संभोग से समाधि तक.