चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को रोजगार एवं शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के कानून को चुनौती देने वाली द्रमुक की याचिका पर केंद्र को सोमवार को नोटिस भेजा. अदालत ने केंद्र से इस नोटिस पर 18 फरवरी से पहले जवाब देने को कहा है.
न्यायमूर्ति एस मणिकुमार एवं न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) जी राजगोपालन की उस दलील को खारिज कर दिया जिसके अनुसार, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) द्वारा दायर यह याचिका राजनीतिक हित की याचिका है और अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए दायर की गयी है. हालांकि पीठ ने इस दलील को खारिज कर दिया और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से पूछा, संविधान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अति पिछड़ों, पिछड़ों एवं अन्य समुदायों की बात करता है. अन्य समुदायों (संशोधन में उल्लेखित) के तहत और कौन लोग आ सकते हैं.जवाब में एएसजी ने कहा कि अन्य समुदाय वे हैं जो आरक्षित श्रेणी में नहीं आते.
संसद ने इस महीने की शुरुआत में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करने वाला संशोधन विधेयक पारित किया था. याचिकाकर्ता ने कहा कि वह चाहते हैं कि संशोधित कानून लागू होने के खिलाफ अदालत एक अंतरिम निषेधाज्ञा लगाये.