क्या वीसी के इस्तीफा देने से सुलझ जाएंगे सारे विवाद

-इंटरनेट डेस्क-नयी दिल्लीः चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को लेकर यूजीसी और डीयू के बीच विवाद बढता जा रहा है. हर दिन मामला सुलझने के बजाय उलझता जा रहा है. जहां एक ओर दिल्ली विश्वविद्यालय अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं है वहीं यूजीसी भी अपने निर्णय पर अडिग है. कल इस विवाद को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 24, 2014 5:36 PM

-इंटरनेट डेस्क-
नयी दिल्लीः चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को लेकर यूजीसी और डीयू के बीच विवाद बढता जा रहा है. हर दिन मामला सुलझने के बजाय उलझता जा रहा है. जहां एक ओर दिल्ली विश्वविद्यालय अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं है वहीं यूजीसी भी अपने निर्णय पर अडिग है. कल इस विवाद को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के साथ भी डीयू और यूजीसी अधिकारियों के साथ बातचीत हुई किन्तु मामला नहीं निपटाया जा सका.

आज एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर दिनेश सिंह ने अपने पद से इस्तीफे की घोषणा की. हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है. इन सबके बीच प्रोवीसी एस पचौरी ने कहा है कि हमने उनसे इस्तीफा नहीं देने की अपील की है. डीयू के स्नातक कोर्स का मामला अब सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है. पूर्व डूटा अध्यक्ष आदित्य नारायण मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर इस विवाद को खत्म करने की अपील की. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट में जाने की सलाह दी. अब वह इसको लेकर 25 जून को दिल्ली हाईकोर्ट में अपील करेंगे.

इधर चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के समर्थक दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों का एक समूह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के इसे वापस लेने के आदेश के खिलाफ 24 घंटे की भूख हड़ताल पर बैठ गया है. डीयू और यूजीसी के बीच का घसासान अपने चरम पर पहुंच गया है.

लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सवाल है कि इन सब घटनाओं के बीच छात्रों के भविष्य का क्या होगा? उनके पढ़ाई का, उनके कोर्स का जो महत्वपूर्ण समय इस विवाद के चलते बर्बाद हो रहा है इसके लिए कौन जिम्मेवार है. क्या केवल वीसी के इस्तीफा देने से डीयू के छात्रों की समस्या का समाधान हो जाएगा? क्या सरकार को भी इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभानी चाहिए? इस तरह के कई सवाल है जो छात्रों के भविष्य से जुडे हैं.

अब यह मामला कल हाई कोर्ट में जाने वाला है और जब तक कोर्ट का कोई समुचित फैसला नहीं आता तबतक छात्रों का भविष्य डीयू-यूजीसी विवाद के चक्र में फंसा रहेगा. और इसकी भी गारंटी नहीं है कि हाई कोर्ट के फैसले से दोनों पक्ष सहमत होंगे. ऐसा नहीं होगा तो यह मामला फिर सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है और फिर छात्रों का एडमिशन कब होगा कहना मुश्किल है.

Next Article

Exit mobile version