गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति का राष्ट्र के नाम संदेश, बोले – बहुलता भारत की सबसे बड़ी ताकत

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बहुलता को देश की सबसे बड़ी ताकत और विविधता, लोकतंत्र एवं विकास को पूरी दुनिया में मिसाल बताते हुए शुक्रवार को कहा कि देश इस समय एक महत्वपूर्ण मुकाम पर है और हमारा आज के निर्णय और कार्यकलाप 21वीं सदी के भारत का स्वरूप निर्धारित करेंगे. राष्ट्रपति रामनाथ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 25, 2019 8:18 PM

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बहुलता को देश की सबसे बड़ी ताकत और विविधता, लोकतंत्र एवं विकास को पूरी दुनिया में मिसाल बताते हुए शुक्रवार को कहा कि देश इस समय एक महत्वपूर्ण मुकाम पर है और हमारा आज के निर्णय और कार्यकलाप 21वीं सदी के भारत का स्वरूप निर्धारित करेंगे.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 70वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा, हमारा देश, इस समय एक महत्वपूर्ण मुकाम पर है. हमारे आज के निर्णय और कार्यकलाप, 21वीं सदी के भारत का स्वरूप निर्धारित करेंगे. उन्होंने कहा कि सभी भारतवासियों को इस वर्ष एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने का अवसर मिलने जा रहा है. 17वीं लोकसभा के निर्वाचन के लिए होने वाले आम चुनाव में, हम सबको अपने मताधिकार का उपयोग करना है. देशवासियों से आगामी चुनाव में मतदान करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि इस चुनाव के दौरान सभी मताधिकार का उपयोग, अपनी लोकतान्त्रिक मान्यताओं और मूल्यों के प्रति पूरी निष्ठा के साथ करें. यह चुनाव, इस मायने में विशेष होगा कि 21वीं सदी में जन्म लेने वाले मतदाता पहली बार मतदान करेंगे और नयी लोकसभा के गठन में अपना योगदान देंगे.

कोविंद ने कहा, देश के संसाधनों पर हम सभी का बराबर का हक है, चाहे हम किसी भी समूह के हों, किसी भी समुदाय के हों, या किसी भी क्षेत्र के हों. उन्होंने कहा, भारत की बहुलता, हमारी सबसे बड़ी ताकत है. हमारी डाइवर्सिटी (विविधता), डेमोक्रेसी (लोकतंत्र) और डेवलपमेंट (विकास) पूरी दुनिया के सामने एक मिसाल है. राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे महान गणतंत्र ने एक लंबी यात्रा तय की है, लेकिन अभी हमें बहुत आगे जाना है. उन्होंने कहा, हमारे जो भाई-बहन विकास की दौड़ में पीछे रह गये हैं, उन सबको साथ लेकर हमें आगे बढ़ना है. 21वीं सदी के लिए, हमें अपने लक्ष्यों और उपलब्धियों के नये मानदंड निर्धारित करने हैं.

कोविंद ने कहा कि सभी वर्गों और सभी समुदायों को समुचित स्थान देने वाले राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ते हुए एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जिसमें हर बेटी-बेटे की विशेषता, क्षमता और प्रतिभा की पहचान हो और उसके विकास के लिए हर तरह की सुविधाएं और प्रोत्साहन उपलब्ध हों. उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति, परंपरा और जीवन-आदर्शों में लोक-सेवा का बहुत अधिक महत्व है. सभी के हृदय में उन व्यक्तियों और संस्थाओं के प्रति सदैव सम्मान का भाव रहा है जो अपने सामान्य कर्तव्यों की सीमाओं से ऊपर उठकर लोक-सेवा के लिए समर्पित रहे हैं.

राष्ट्रपति ने कहा कि सभी को यह याद रखना है कि यह समय हमारे देशवासियों की आकांक्षाओं को पूरा करने और विकसित भारत के निर्माण की यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. हाल ही में सामान्य श्रेणी के गरीब लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने संबंधी संविधान संशोधन पहल के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इसी माह, संविधान-संशोधन के द्वारा गरीब परिवारों के प्रतिभाशाली बच्चों को शिक्षा एवं रोजगार के विशेष अवसर उपलब्ध कराये गये हैं. उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय और आर्थिक नैतिकता के मानदंडों पर जोर देकर, समावेशी विकास के कार्य को और भी व्यापक आधार दिया गया है.

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