प्रणब मुखर्जी भारत रत्न से सम्मानित होने वाले देश के छठे पूर्व राष्ट्रपति

नयी दिल्ली : ‘प्रणब दा’ के नाम से पहचाने जाने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे प्रणब मुखर्जी देश के छठे ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न के लिए चुना गया है. भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने 70वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को इस पुरस्कार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 25, 2019 11:49 PM

नयी दिल्ली : ‘प्रणब दा’ के नाम से पहचाने जाने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे प्रणब मुखर्जी देश के छठे ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न के लिए चुना गया है.

भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने 70वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को इस पुरस्कार के लिए मुखर्जी (83) के अलावा भारतीय जनसंघ के नेता रहे नानाजी देशमुख और गायक भूपेन हजारिका के नाम की भी घोषणा की. देशमुख और हजारिका को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया जा रहा है. भारत रत्न से सम्मानित पूर्व राष्ट्रपतियों में राजेंद्र प्रसाद, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन, वीवी गिरी और एपी जे अब्दुल कलाम शामिल हैं. साल 2017 में पांच साल का राष्ट्रपति कार्यकाल खत्म करने के बाद मुखर्जी ने उस समय विवाद पैदा कर दिया था जब वह गत वर्ष जून में नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आरएसएस का निमंत्रण स्वीकार करने के उनके फैसले की आलोचना की थी.

पश्चिम बंगाल के मिराती गांव के एक स्कूली छात्र से लेकर भारत के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक बनने तक मुखर्जी ने लंबा सफर तय किया. राजनीतिक कुशाग्रता और सभी दलों के बीच सर्वसम्मति बनाने की क्षमता रखने वाले मुखर्जी बिना किसी डर या पक्ष के दिमाग से बोलते हैं और वह उन नेताओं में से एक हैं जो अपने सिद्धांतों पर अड़े रहते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में पद संभालने के बाद मुखर्जी को पिता तुल्य बताया था. कठिन कार्यों को करने वाले, उत्सुक पाठक और इतिहास में रुचि रखने वाले मुखर्जी ने यह सुनिश्चित किया कि वह देश के राजतंत्र पर अपनी छाप छोड़े. वह 47 वर्ष की आयु में 1982 में देश का वित्त मंत्री बनने वाले सबसे युवा नेता थे.

साल 2004 से उन्होंने तीन महत्वपूर्ण मंत्रालय विदेश मंत्रालय, रक्षा और वित्त मंत्रालय की कमान संभाली. वह एकमात्र गैर प्रधानमंत्री भी रहे जो आठ वर्षों तक लोकसभा में सदन के नेता रहे. मुखर्जी को राजनीति में आने का अवसर 1969 में उस समय मिला जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनकी कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा पहुंचने में मदद की. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह गांधी के सबसे विश्वासपात्र लोगों में से एक रहे.

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