ग्रीनपीस ने जारी की रिपोर्ट देशभर के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में झारखंड के 2 शहर भी शामिल

नयी दिल्ली : देशभर के 10 प्रदूषित शहरों में झारखंड के दो शहर भी शामिल किये गये हैं. ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट में झरिया देश का सबसे प्रदूषित शहर बना है तो धनबाद 9वें स्थान पर है. ग्रीनपीस की ‘एयरपोक्लिपस’ रिपोर्ट का यह तीसरा संस्करण है . इस रिपोर्ट में 139 शहर की वायु गुणवत्ता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 29, 2019 7:13 PM

नयी दिल्ली : देशभर के 10 प्रदूषित शहरों में झारखंड के दो शहर भी शामिल किये गये हैं. ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट में झरिया देश का सबसे प्रदूषित शहर बना है तो धनबाद 9वें स्थान पर है. ग्रीनपीस की ‘एयरपोक्लिपस’ रिपोर्ट का यह तीसरा संस्करण है . इस रिपोर्ट में 139 शहर की वायु गुणवत्ता राष्ट्रीय मानक से अधिक बतायी गयी है. हाल ही हुए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) में रांची और धनबाद जैसे शहरों को प्रदूषित वायु वाले अयोग्य शहरों की श्रेणी में जगह नहीं मिल सकी है.

इस रिपोर्ट में संकेत दिये गये हैं कि कि अगर हम एनसीएपी के 2024 तक 30 प्रतिशत प्रदूषण कम करने के लक्ष्य पर भरोसा कर तो भी 153 शहर ऐसे छूट जायेंगे जिनका प्रदूषण स्तर राष्ट्रीय मानक से 2024 में भी अधिक होगा. इस रिपोर्ट में देशभर के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में 2 शहर झारखंड के शामिल हैं. 313 शहरों में झारखंड का झरिया पहले स्थान पर है वहीं धनबाद 9वां सबसे प्रदूषित शहर है. इस रिपोर्ट में 313 शहरों के साल 2017 का औसत पीएम10 को दर्ज किया गया है. इस दौरान झरिया का औसत पीएम10 स्तर 295 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा, जो देशभर में सबसे ज्यादा है. वहीं धनबाद 238 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के साथ सूची में 9वें स्थान पर है.
किस शहर में कितना प्रदूषण
रांची (142 माइक्रोग्राम/घनमीटर), सिंदरी (158माइक्रोग्राम/घनमीटर), सराईकेला (131माइक्रोग्राम/घनमीटर), जमशेदपुर (131माइक्रोग्राम/घनमीटर) और पश्चिम सिंहभूभ (77 माइक्रोग्राम/घनमीटर) भी शामिल हैं.
ग्रीनपीस के अभियानकर्ता सुनील दहिया ने बताया, , “हम अक्सर देश में वायु प्रदूषण की स्थिति बताने के लिये दिल्ली का उदाहरण देते हैं. लेकिन यह दिलचस्प है कि झारखंड के शहरों की वायु भी गंभीर रूप से प्रदूषित हैं. यदि 2024 तक इन शहरों का 30 प्रतिशत प्रदूषण भी कम होता है, फिर भी झारखंड के ज्यादातर शहर राष्ट्रीय मानक से अधिक प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर होंगे”.
एनसीएपी में 2015 के डाटा के आधार पर शहरों को शामिल किया गया है, जिसकी वजह से बहुत बड़ी संख्या में दूसरे प्रदूषित शहर छूट गए हैं. ग्रीनपीस इंडिया मांग करती है कि पर्यावरण मंत्रालय 2017 के डाटा के आधार पर रांची, धनबाद सहित अयोग्य शहरों की सूची में देश के बाकी बचे शहरों को भी शामिल करे, तभी एनसीएपी को राष्ट्रीय कार्यक्रम कहा जा सकता है और इससे पूरे देश की हवा को स्वच्छ किया जा सकता है.

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