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सोनी की जगह डॉ कृष्ण गोपाल देखेंगे संघ- भाजपा के समन्वय का काम!

भाजपा के साथ संघ में भी पीढ़ीगत बदलाव लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली अबतक की सबसे बड़ी जीत के बाद भाजपा में शीष नेतृत्व को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. हालांकि पीढीगत बदलाव के बाद संघ ने भाजपा के सांगठनिक तानेबाने में भी फेरबदल की कवायद शुरू कर […]

भाजपा के साथ संघ में भी पीढ़ीगत बदलाव

लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली अबतक की सबसे बड़ी जीत के बाद भाजपा में शीष नेतृत्व को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. हालांकि पीढीगत बदलाव के बाद संघ ने भाजपा के सांगठनिक तानेबाने में भी फेरबदल की कवायद शुरू कर दी है. संभावना है कि संघ और पार्टी के बीच समन्वय का काम देखने की जिम्मवारी सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल को मिलेगी. वहीं संगठन मंत्री के रूप में सौदान सिंह को जिम्मेवारी दी जा सकती है. मालूम हो कि वर्तमान में समन्वय का काम संघ के वरिष्ठ नेता सुरेश सोनी देखते हैं.जबकि संगठन मंत्री कि जिम्मेवारी रामलाल पर है. संघ के ये दोनो नेता मौजूदा जिम्मेदारी को लगभग एक दशक से निभा रहे हैं. ऐसे में यह बदलाव स्वभाविक प्रक्रिया का हिस्सा है. यह भी मालूम हो कि राजनाथ के सरकार में शामिल होने के बाद नये अध्यक्ष के रूप में अमित शाह जेपी नड्डा व ओम माथुर के नामों की पहले से ही चर्चा है. आरएसएस द्वारा किये जाने वाले इस बदलाव के अलग मायने है. सोनी को इस पद से हटाकर दूसरी जिम्मदारियां दी जा सकती है. संघ इस बदलाव के जरिये भाजपा में अपनी मजबूती कायम रखना चाहता है.

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सोनी का होता रहा है विरोध

संघ परिवार के अंदर सुरेश सोनी के सत्ता संतुलन से जुड़ी ढेरों कहानियां है. पिछले एक दशक में यह धारणा भी बनी कि सुरेश सोनी ही अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा को पूरी तरह से चला रहे हैं. खासकर आडवाणी कि अध्यक्ष पद से विदाई व राजनाथ की इस पद पर 2005 में हुई ताजपोशी के बाद यह धारणा मजबूत हुई. माना जाता रहा है कि अटल आडवाणी युग के बाद पार्टी की कमान सबसे लंबे समय तक संभालने वाले राजनाथ ने हमेशा सोनी की इच्छा के अनुरूप ही फैसले किये. वहीं आडवाणी व पूर्व में उनके समर्थक रहे कुछ प्रमुख नेताओं ने राजनाथ के बहाने सोनी के वर्चस्व से अहसमतियां जतायी.

पार्टी के अंदर सुरेश सोनी को लेकर विरोध के स्वर तेज होते रहे हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सोनी के पद पर बने रहने के कारण नाराज थे. कहा जाता है कि आडवाणी ने अपनी नाराजगी संघ प्रमुख मोहन भागवत से पिछले वर्ष जतायी थी सोनी को समन्वय के कामकाज से मुक्त करने की मांग की थी.

लेकिन संघ ने उस वक्त सोनी को हटाये जाने से इनकार कर दिया था और संघ नेता राम माधव ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी थी. उनके उस ट्वीट के मुताबिक ‘कुछ अखबारों में छपी इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है कि श्री सुरेश सोनीजी दरकिनार किए गए हैं. वह भाजपा के लिए संघ के संपर्क व्यक्ति बने हुए हैं. कोई बदलाव नहीं हुआ है.’ भले ही भाजपा के कई नेता सोनी से नाराज थे लेकिन भाजपा नेताओं की एक बड़ी जमात मसलन, राजनाथ सिंह, नरेंद्र मोदी, अरूण जेटली सरीखे नेता नहीं चाहते कि ऐन चुनाव के वक्त वह भी अडवानी कैंप के दबाव में सोनी को हटाया जाए, इससे कैडर में अच्छा संकेत नहीं जाएगा. चुनाव के बाद संभव है कि संघ अब अपने कार्यकर्ताओं के लिए नयी जिम्मदारियों के साथ उनके कामकाज में बदलाव कर सकता है.

संघ के भाजपा प्रभारी की क्या होती है जिम्मेदारी

संघ की तरफ से एक व्यक्ति पार्टी के कामकाज और उसकी रणनीति पर विशेष नजर रखता है. साथ ही इसकी भी देखरेख करता है कि पार्टी अपने फैसलों में संघ की विचारधारा का भी ध्यान रखे. मुख्य रूप से इस पद पर बैठा व्यक्ति संघ की कार्यशैली निर्देशों का रक्षक होता है.

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डॉ कुष्ण गोपाल को ये पद क्यों

संघ पिछले लगभग डेढ़ सालों से कृष्ण गोपाल को बड़ी भूमिका देने के पक्ष में है. उन्होंने क्षेत्र प्रचारक के रूप में पूर्वोत्तर राज्यों में काफी अहम भूमिका निभायी है. उसके पूर्व वे उत्तर प्रदेश के काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक थे. उत्तर प्रदेश की उन्हें गहरी समझ है. दो साल पहले उन्हें क्षेत्र प्रचारक से सह-सरकार्यवाह बनाकर स्वदेशी जागरण मंच और विद्या भारती जैसे संघ के संगठनों के पालक अधिकारी की जिम्मेदारी दी गयी थी. इतना ही नहीं उन्हें हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की जिम्मेदारी दी गई थी. डॉ कृष्ण गोपाल ने संघ द्वारा दिये गयी सारी भूमिकाओं को अच्छी तरह निभाया है. उत्तर प्रदेश में मिली शानदार विजय का श्रेय भी इन्हें जाता है. ऐसे में भविष्य की राजनीति के तहत उन्हें नयी जिम्मेवारी सौंपे जाने की संभावना है.

बड़े बदलाव के कोशिश में है संघ

संघ अपने नेतृत्व को लकेर बड़े बदलाव के कोशिश में है. इसी के मद्देनजर संघ ने भाजपा में प्रभारी की भूमिका के साथ- साथ कई राज्यों के प्रचारक और कार्यकर्ताओं को महत्वपूर्ण भूमिका देने का मन बना चुका है. भारतीय जनता पार्टी को देश की सत्ता पर काबिज कराने में राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने बडी भूमिका निभाई है. पार्टी की रैलियों से लेकर साधारण प्रचार में संघ के कई सदस्यों ने अहम भूमिका निभायी है. चुनाव के बाद संघ उन कार्यकर्ताओं को उनकी मेहनत और लगन के अनुसार पद आवंटित कर सकता है.

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