मुंबई : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को विशेष अदालत के समक्ष कहा कि उसे भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की संपत्ति को उन बैंकों के समूह को नियंत्रण में वापस किये जाने पर कोई आपत्ति नहीं है जिनका पैसा माल्या की कंपनियों में फंसा है.
ईडी ने यह भी कहा है कि बैंकों को यह हलफनामा देना होगा कि भविष्य में अदालत यदि कानून की दृष्टि से उन्हें वह राशि अदालत में जमा कराने को कहती है तो वे उसे ब्याज समेत अदालत को सुपुर्द कर देंगे. बैंकों के समूह के आवेदन के जवाब में केंद्रीय जांच एजेंसी ने यह हलफनामा दिया. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई में बैंकों के समूह ने माल्या की संपत्ति सौंपने का आग्रह किया है. माल्या पर 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज नहीं लौटाने का आरोप है. बैंकों ने करीब 6,200 करोड़ रुपये का दावा किया है. विशेष पीएमएलए (मनी लांड्रिंग निरोधक कानून) न्यायाधीश एमएस आजमी के समक्ष दिये हलफनामे में ईडी ने कहा कि उसने मामले को अदालत के फैसले पर छोड़ दिया है.
हलफनामा में कहा गया है, हालांकि इस मामले में अदालत आवेदन को मंजूरी देने के बारे में निर्णय करने को लेकर पूरी तरह उपयुक्त है, लेकिन उनसे (बैंकों के समूह) यह हलफनामा लेना चाहिए कि अगर अदालत को आगे किसी भी समय यह लगता है कि दावा राशि उसके पास जमा करना न्याय हित में उपयुक्त है तो वे (बैंक) उस राशि को ब्याज समेत अदालत में जमा करा देंगे. निदेशालय ने आगे कहा कि एक को छोड़कर सभी आवेदनकर्ता सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं, ऐसे में जो धन मांगा गया है, वह सरकारी धन है, संपत्ति सौंपना जनहित में है. तिरसठ साल के माल्या पहले व्यवसायी हैं जिन्हें अगस्त 2018 में अस्तित्व में आये भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया. वह दो मार्च 2016 को लंदन भाग गया था. लंदन अदालत ने 10 दिसंबर, 2018 को माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश दे दिया. ब्रिटेन के गृह मंत्री ने भी भी माल्या के प्रवर्तन को मंजूरी दे दी है. इसके बाद माल्या ने कहा कि वह इस आदेश के खिलाफ उच्च अदालत में अपील करेगा.