नयी दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल डील पर शुक्रवार को फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा है. शुक्रवार को उन्होंने ‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह साबित हो गया है कि ‘चौकीदार चोर’ है. भारत के प्रधानमंत्री ने खुद वायुसेना के 30 हजार करोड़ रुपये की चोरी की और उसे अपने मित्र अनिल अंबानी को दिये. हालांकि, राहुल गांधी ने रक्षा मंत्रालय के जिस नोट के आधार पर प्रधानमंत्री पर हमला किया, थोड़ी ही देर में उसकी हवा निकल गयी. तत्कालीन रक्षा सचिव जी मोहन कुमार ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि जिस नोट के बारे में राहुल ने बात की है, उसका राफेल की कीमत से कोई लेना-देना नहीं है.
कांग्रेस अध्यक्ष ने अंग्रेजी समाचार पत्र ‘द हिंदू’ में प्रकाशित एक समाचार का हवाला देते हुए शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ताजा हमला किया. श्री गांधी ने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने एक नोट लिखा था, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से हो रहे समानांतर डील की वजह से उनका पक्ष कमजोर पड़ रहा है. श्री गांधी ने इस नोट को दिखाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने सेना और देश के 30 हजार करोड़ रुपये चोरी करके अपने मित्र अनिल अंबानी की जेब में डाल दिये.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति ने उनसे (राहुल से) साफ-साफ कहा था कि भारत के प्रधानमंत्री ने उनसे (फ्रांस्वा ओलांद से) कहा था कि भारत का प्रधानमंत्री चोर है. नरेंद्र मोदी ने उन्हें राफेल डील अनिल अंबानी को देने का दबाव बनाया था. भारत का रक्षा मंत्रालय भी कह रहा है कि प्रधानमंत्री चोर है.
राहुल ने कहा, ‘मोदी के दो चरित्र हैं. वह चोर भी हैं और चौकीदार भी. एक दिन वह चोर बन जाते हैं. एक दिन वह चौकीदार बन जाते हैं. ये बातें मेरी समझ से बाहर है.’ श्री गांधी ने यह टिप्पणी एक दिन पहले गुरुवार को संसद में प्रधानमंत्री के बयान ‘उल्टा चोर चौकीदार को डांटे’ पर प्रतिक्रिया देते हुए की. राहुल गांधी ने सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगाया. कहा कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने झूठ बोला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद झूठ बोला. राहुल गांधी ने संवाददाताओं से कहा कि नरेंद्र मोदी कांग्रेस पर देश की वायुसेना को कमजोर करने का आरोप लगाते हैं, लेकिन सच यह है कि मोदीजी ने रक्षा मंत्रालय के 30 हजार करोड़ रुपये चुराये. अब सच सामने आ गया है.
राहुल के दावे को पूर्व रक्षा सचिव ने गलत बताया
इधर, राफेल डील के समय रक्षा सचिव रहे जी मोहन कुमार ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में जिस नोट का जिक्र किया जा रहा है, राफेल की कीमत से उसका कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय का यह नोट सॉवरन गारंटी और नियम एवं शर्तों के बारे में थी.
पर्रीकर से राफेल डील पर कोई बात नहीं हुई
राहुल गांधी ने आज स्वीकार किया कि पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर से उनकी राफेल डील पर कोई बात नहीं हुई. राहुल ने कहा कि वह पर्रीकर से मिले थे. यह सद्भावना मुलाकात थी. मुलाकात में दोनों के बीच पर्रीकर की सेहत और उनके परिवार के बारे में बातें हुईं. राफेल डील पर कोई चर्चा नहीं हुई. ज्ञात हो कि पिछले दिनों राहुल गांधी ने कहा था कि पर्रीकर से वह मिले, तो पूर्व रक्षा मंत्री ने उनसे कहा कि राफेल डील में उनकी बात नहीं सुनी गयी.
श्री गांधी ने बार-बार कहा कि प्रधानमंत्री ने खुद एयर फोर्स के 30 हजार करोड़ रुपये चुराये और इसे अनिल अंबानी को दिये. वह (राहुल गांधी) इस मुद्दे को एक साल से उठा रहे हैं. पहले फ्रांस के राष्ट्रपति ने भारत के प्रधानमंत्री को चोर कहा. अब भारत का रक्षा मंत्रालय भी प्रधानमंत्री को चोर कह रहा है. इससे स्पष्ट हो गया है कि ‘चौकीदार चोर है’.
राफेल मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा, लोकसभा स्थगित
राफेल विमान सौदे के मुद्दे पर विपक्षी दलों के सदस्यों की नारेबाजी के कारण शुक्रवार को लोकसभा की बैठक शुरू होने के कुछ ही मिनट बाद दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गयी. सदन की बैठक शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने प्रश्नकाल शुरू कराया. इसी बीच, कांग्रेस के सदस्य एक अंग्रेजी अखबार की खबर की कतरन हाथ में लेकर आसन के समीप आ गये.
राफेल मुद्दे से जुड़ी खबर की कतरन दिखाते हुए विपक्षी सदस्य ‘चौकीदार चोर है’ के नारे लगा रहे थे. कांग्रेस के साथ ही वामपंथी दल, तेलुगू देशम पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य भी आसन के समीप आ गये और राफेल मुद्दे पर नारेबाजी करने लगे. शोर-शराबे के बीच ही कॉर्पोरेट कार्य राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने ‘आपदा प्रबंधन कोष’ से संबंधित प्रश्न का उत्तर दिया. हंगामा थमता नहीं देख लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की बैठक को दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दिया.
गौरतलब है कि विपक्षी दल लंबे समय से राफेल सौदे में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार और विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साध रहे हैं. वे इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग करते आ रहे हैं.