राज्यसभा में अहम मुद्दों पर बहस नहीं होना लोकतंत्र के लिए खतरा : हरिवंश
नयी दिल्ली : राज्यसभा में महत्वपूर्ण विषयों पर बहस नहीं होने से उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह निराश हैं. राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को बिना चर्चा के ही पारित होने और राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के स्थगित होने के बाद बुधवार को श्री हरिवंश ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि ऊपरी […]
नयी दिल्ली : राज्यसभा में महत्वपूर्ण विषयों पर बहस नहीं होने से उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह निराश हैं. राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को बिना चर्चा के ही पारित होने और राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के स्थगित होने के बाद बुधवार को श्री हरिवंश ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि ऊपरी सदन में महत्वपूर्ण विषयों पर बहस नहीं होना यह दर्शाता है कि हमारा लोकतंत्र किस दिशा में जा रहा है. सांसद मुद्दों पर बहस के लिए सर्वसम्मति नहीं बना पाये, यह बेहद निराशाजनक है.
ज्ञात हो कि संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू हुआ था. विपक्ष के हंगामे की वजह से उच्च सदन की कार्यवाही लगातार बाधित होती रही. सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा कर उसे पारित किया जाता है, लेकिन हंगामे की वजह से राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को बुधवार को बिना चर्चा के ही पारित कर दिया गया.
भाजपा सदस्य भूपेंद्र यादव ने हालांकि छह फरवरी को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव सदन में पेश किया था. किंतु विभिन्न मुद्दों पर सदस्यों के लगातार हंगामे की वजह से इस पर चर्चा हो ही नहीं पायी. बुधवार को भी सदन में सपा सदस्यों ने अपनी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को मंगलवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति नहीं दिये जाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे सपा कार्यकर्ताओं पर पुलिस के कथित लाठीचार्ज और इसमें कुछ नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के घायल होने का मुद्दा उठाया. बसपा सदस्यों ने सपा सदस्यों का साथ दिया.
तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने राफेल विमान सौदे को लेकर सरकार के प्रति विरोध जताते हुए हंगामा किया. हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही बाधित हुई, लेकिन बाद में विभिन्न दलों के नेताओं के बीच इस बात पर सहमति बन गयी कि आज, बजट सत्र के अंतिम दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को चर्चा के बिना ही मंजूरी दे दी जाये. इसके बाद विभिन्न विपक्षी सदस्यों ने अपने-अपने संशोधन वापस ले लिये तथा ध्वनिमत से धन्यवाद प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी.