एसिड अटैक में गंवायीं आंखें फिर हौसले से बनीं बैंकर

ऑडियो रिकॉर्डिंग तकनीक से पढ़ाई कर पायी नौकरी चंडीगढ़ : करीब सात साल पहले हुए एसिड अटैक में आंखें गंवा चुकी 30 साल की इंदरजीत कौर परिस्थितियों से हार मान लेने वाले लोगों के सामने नायाब उदाहरण बनकर उभरी हैं. लंबे अरसे तक कठिन हालातों का सामना करने के बाद अब वह अपनी जिंदगी एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 14, 2019 6:04 AM
ऑडियो रिकॉर्डिंग तकनीक से पढ़ाई कर पायी नौकरी
चंडीगढ़ : करीब सात साल पहले हुए एसिड अटैक में आंखें गंवा चुकी 30 साल की इंदरजीत कौर परिस्थितियों से हार मान लेने वाले लोगों के सामने नायाब उदाहरण बनकर उभरी हैं.
लंबे अरसे तक कठिन हालातों का सामना करने के बाद अब वह अपनी जिंदगी एक सरकारी बैंकर के रूप में शुरू करने जा रही हैं. उन्हें केनरा बैंक के दिल्ली स्थित ऑफिस में क्लर्क पद पर नियुक्त किया गया है.
इंदरजीत की याचिका पर पंजाब व हरियाणा हाइकोर्ट पंजाब सरकार को उनका मुफ्त इलाज कराने के साथ आर्थिक मदद भी देने का आदेश दे चुकी है. दिसंबर 2011 से पहले तक मोहाली के मरौली कलां गांव की रहने वाली इंदरजीत कौर की जिंदगी भी आम लड़कियों जैसी थी. वह कॉलेज पढ़ने जाया करती थीं. उनके मन में भी तमाम सपने थे पर एक हादसे ने सारी खुशियों पर ग्रहण लगा दिया.
पड़ोसी गांव के मनजीत सिंह ने उन्हें शादी करने का प्रस्ताव दिया जिसे उन्होंने रिजेक्ट कर दिया. इस बात से खफा मनजीत एक दिन उनके घर में घुस आया और उन्हें एसिड से नहला दिया. इंदरजीत कौर की आंखों की रोशनी तो गयी, चेहरे, गर्दन, हाथों और शरीर के अन्य हिस्से भी गंभीर जख्मी हो गये. अचानक हुए इस हादसे ने उनको तोड़ कर रख दिया. इसके बावजूद उन्होंने खुद को दोबारा खड़ा कर नौकरी पायी.
सिर्फ मां ने दिया साथ, भाई ने छोड़ा
इंदरजीत कहती हैं, मैंने अपनी जिंदगी में बहुत बुरा समय देखा है. हादसे के बाद मां के अलावा किसी रिश्‍तेदार ने मेरा साथ नहीं दिया. यहां तक कि मेरे भाई ने भी किनारा कर लिया. पढ़ाई छूट गयी और मैं खुद को पूरी तरह अलग-थलग महसूस करने लगी.
रिश्तेदारों के तानों से तंग आकर कुछ करने की सोची और देहरादून स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर विजुअली हैंडीकैप्‍ड में प्रवेश लिया. ऑडियो रिकॉर्डिंग तकनीक से पढ़ाई करना सीखा और 2016 में ग्रेजुएशन पूरी की. इसके बाद बैंकिंग परीक्षाओं की तैयारियों में जुट गयी. तीसरे प्रयास में जून 2018 में केनरा बैंक में मेरा चयन हो गया.
हाइकोर्ट से लगायी गुहार, मिली सरकारी सहायता
इंदरजीत ने पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट से अपने इलाज और पुनर्वास के लिए आर्थिक मदद दिलवाने की गुहार लगायी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मुफ्त इलाज करवाया साथ ही आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करायी.

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