पुलवामा आतंकी हमला : पाकिस्‍तान में भारत के उच्‍चायुक्‍त बिसारिया दिल्‍ली पहुंचे

नयी दिल्‍ली : जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारत ने चर्चा के पाकिस्‍तान में भारत के उच्‍चायुक्‍त अजय बिसारिया को दिल्‍ली बुला लिया है. बिसारिया शनिवार सुबह अन्य सीनियर अफसरों के साथ विदेश मंत्रालय पहुंचे. गौरतलब हो जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारत ने सख्त कदम उठाते हुए पाकिस्तान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 16, 2019 2:04 PM

नयी दिल्‍ली : जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारत ने चर्चा के पाकिस्‍तान में भारत के उच्‍चायुक्‍त अजय बिसारिया को दिल्‍ली बुला लिया है. बिसारिया शनिवार सुबह अन्य सीनियर अफसरों के साथ विदेश मंत्रालय पहुंचे.

गौरतलब हो जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारत ने सख्त कदम उठाते हुए पाकिस्तान से व्यापार में ‘सबसे तरजीही राष्ट्र (एमएफएन)’ का दर्जा वापस ले लिया है.

सूत्रों के मुताबिक, भारत सीमा शुल्क में वृद्धि, बंदरगाह से जुड़े प्रतिबंध और पाकिस्तान से आयातित वस्तुओं पर प्रतिबंध जैसे दंडात्मक कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है. सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पाकिस्तान का सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र यानी मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा वापस ले लिया गया है.

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इस कदम से पाकिस्तान द्वारा भारत को किये जाने वाले 48.8 करोड़ डॉलर (करीब 3,482.3 करोड़ रुपये) के सामान के निर्यात पर असर पड़ सकता है. तरजीही राष्ट्र का दर्जा वापस लेने के बाद भारत, पाकिस्तान से आने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क बढ़ा सकेगा.

सूत्रों ने कहा, सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में तरजीही देश का दर्जा वापस लेने का फैसला किया गया है. सरकार सीमा शुल्क अधिनियम और विदेशी व्यापार (विकास एवं विनियमन) अधिनियम के तहत दंडात्मक कार्रवाई कर सकती है. उन्होंने कहा कि इन कानून के तहत सरकार कुछ सामानों के व्यापार को प्रतिबंधित कर सकती है, सीमा शुल्क में बड़ी वृद्धि कर सकती है और पाकिस्तानी वस्तुओं पर बंदरगाह से संबंधित प्रतिबंध लगा सकती है.

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पाकिस्तान से जो चीजें आयात की जाती हैं, उनमें मुख्य रूप से फल, सीमेंट, पेट्रोलियम उत्पाद, खनिज संसाधन, लौह अयस्क और तैयार चमड़ा शामिल हैं. भारत ने पाकिस्तान को 1996 में यह दर्जा दिया था, लेकिन पाकिस्तान की ओर से भारत को ऐसा कोई दर्जा नहीं दिया गया.

व्यापार एवं शुल्क पर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के आम समझौते (जीएटीटी) के तहत एमएफएन का दर्जा दिया गया था. भारत और पाकिस्तान दोनों ने इस पर हस्ताक्षर किये थे और दोनों डब्ल्यूटीओ के सदस्य हैं. तरजीही राष्ट्र समझौते के तहत, डब्लयूटीओ के सदस्य देश अन्य व्यापारिक देशों के साथ बिना किसी भेदभाव के व्यापार करने के लिए बाध्य हैं.

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खासकर सीमाशुल्क और अन्य शुल्कों के मामले में. इस दर्जे को वापस लेने का अर्थ है कि भारत अब पाकिस्तान से आने वाली वस्तुओं पर किसी भी स्तर तक सीमा शुल्क को बढ़ा सकता है. पाकिस्तान ने 2012 में भारत को तरजीही देश का दर्जा देने की प्रतिबद्धता जताई थी लेकिन अंदरुनी विद्रोह के चलते बाद में मुकर गया था. पाकिस्तान ने कहा था कि वह भारत को एमएफएन के बजाए गैर-भेदभावपूर्ण बाजार पहुंच (एनडीएमए) का दर्जा देने पर काम कर रहा है. हालांकि, इसकी भी घोषण नहीं की गई.

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