राष्ट्रपति ने कहा, ठोस शिक्षा नीति की जरूरत
इंदौर: वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये भारत में शिक्षा की ठोस राष्ट्रीय नीति की जरुरत पर जोर देने के साथ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि अंतरराष्ट्रीय जगत में देश की न्यायसंगत जगह बनाने के लिये पढाई-लिखाई के क्षेत्र में व्यापक निवेश भी करना होगा. मुखर्जी ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती […]
इंदौर: वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये भारत में शिक्षा की ठोस राष्ट्रीय नीति की जरुरत पर जोर देने के साथ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि अंतरराष्ट्रीय जगत में देश की न्यायसंगत जगह बनाने के लिये पढाई-लिखाई के क्षेत्र में व्यापक निवेश भी करना होगा.
मुखर्जी ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती वर्ष में आयोजित दीक्षांत समारोह में कहा, ‘अगर हम अंतरराष्ट्रीय जगत में अपनी न्यायसंगत जगह बनाना चाहते हैं, तो हमें देश में शिक्षा क्षेत्र में न केवल बडा निवेश करना होगा बल्कि ऐसी ठोस शिक्षा नीति भी बनानी पडेगी जो समाज और अर्थव्यवस्था की बदलती जरुरतों के मुताबिक खुद को ढालने में सक्षम हो.’ राष्ट्रपति ने बताया कि सरकार नई शिक्षा नीति बनाने के लिये एक आयोग के गठन के प्रस्ताव पर विचार कर रही है.
उन्होंने बताया, ‘भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वर्ष 1992 के बाद से बदलाव नहीं हुआ है, जबकि गुजरे ढाई दशक के दौरान देश में खासकर संचार तकनीक और आर्थिक गतिविधियों में बडे परिवर्तन हो चुके हैं. लिहाजा देश को नई और ठोस शिक्षा नीति की जरुरत है. नई नीति से शिक्षा तंत्र को वैश्विक चुनौतियों के मुताबिक ढाला जा सकेगा. इसके साथ ही, शोध, विकास और नवाचार के समकालीन मुद्दों पर भी विचार किया जा सकेगा.
प्रणब ने कहा, ‘मैं विश्व के 200 शीर्ष शिक्षा संस्थानों की सूची में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय का नाम नहीं होने का सवाल अकादमिक समुदाय के सामने लगातार खडा करता रहा हूं. लेकिन मुङो बताते हुए खुशी है कि उच्च शिक्षा के अलग.अलग क्षेत्रों में हमारे कुछ संस्थानों की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में लगातार सुधार हो रहा है.’ उन्होंने देश में बडी तादाद में मौजूद युवा आबादी के कौशल विकास की जरुरत पर जोर दिया. राष्ट्रपति ने कहा, ‘हमें कडी प्रतिस्पर्धा वाली इस दुनिया में ऐसे स्नातक विकसित करने होंगे, जो रोजगार पाने के लायक हों. वरना देश में उच्च शिक्षित बेरोजगारों की तादाद बढने की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी. इससे देश के संसाधनों की बर्बादी होगी.
’राष्ट्रपति ने कहा, ‘हमें जन सांख्यिकी का लाभ तभी मिल सकेगा, जब हम युवाआें का कौशल विकास करने के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के क्षेत्र में बडे पैमाने पर निवेश करेंगे.’ उन्होंने उच्च शिक्षा क्षेत्र को बढावा देने के लिये अकादमिक जगत को स्थानीय उद्योग जगत से जोडने और शिक्षक समुदाय के विकास की जरुरत को भी रेखांकित किया.मुखर्जी ने यह भी कहा कि आदिवासी और ग्रामीण पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों को वैश्विक स्तर पर सक्षम बनाने के लिये नीतियों और योजनाओं में उचित बदलाव किये जाने चाहिये.
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के विशिष्ट अतिथियों में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्र महाजन, मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव और राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल थे. इस समारोह के दौरान 65 मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण और रजत पदक प्रदान किये गये. इसके साथ ही, 13 शोधार्थियों को डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी :पी.एच.डी: की उपाधि प्रदान की गयी.