नेशनल कंटेंट सेल
जुलाई, 2016 से पहले दक्षिण कश्मीर, उत्तर कश्मीर की तुलना में शांत माना जाता था. जबकि, उत्तर कश्मीर नियंत्रण रेखा पार कर आये सीमा पार के आतंकियों का गढ़ था, जो बांदीपोरा, बारामुला और कुपवाड़ा के जंगलों में शरण लेते थे. हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद पूरे कश्मीर में प्रदर्शन का दौर चला. हालांकि, सुरक्षा बलों ने स्थिति पर नियंत्रण पाने में सफलता भी हासिल की, लेकिन स्थानीय स्तर पर दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, कुलगाम, शोपियां और पुलवामा जिले से युवाओं की आतंकवादी संगठनों में भर्ती में बढ़ोतरी हुई. उत्तर कश्मीर में हुए सुरक्षा बलों से मुठभेड़ों में अधिकतर मारे गये आतंकी सीमा पार से आये थे, जबकि दक्षिण कश्मीर में मारे गये आतंकी स्थानीय थे. इसके बाद दक्षिण कश्मीर क्षेत्र के सबसे ज्यादा युवा आतंकी संगठनों से जुड़ने लगे. अधिकतर युवा दक्षिण कश्मीर के जिले पुलवामा, शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग के हैं. जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों में सबसे ज्यादा आतंकी जुड़ रहे हैं.
दक्षिण में बुरहान और उत्तर में मन्नान बने थे आतंक के चेहरे
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल क्षेत्र का रहने वाला बुरहान वानी एक समय में घाटी में आतंक का चेहरा बन गया था. उत्तर कश्मीर के कुपवाड़ा जिले का रहने वाला मन्नान वानी जो कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पीएचडी का छात्र था और सात जनवरी 2018 को एके-47 के साथ उसकी फोटो वायरल होने के एक दिन बाद हिज्ब-उल-मुजाहिद्दीन ने इसकी पुष्टि की थी कि मन्नान हिज्बुल में शामिल हुआ है. इससे साफ हो गया कि अब तक स्थानीय आतंकवाद से अछूते उत्तर कश्मीर में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. हंदवाड़ा इलाके में आतंकी मन्नान वानी मारा गया. मन्नान पिछले नौ महीने से दक्षिण कश्मीर के जिलों में सक्रिय था और उसे उत्तर कश्मीर में स्थानीय युवकों की भर्ती के लिए भेजा गया था. इससे पहले कि मन्नान वानी युवकों को हथियार उठाने के लिए बहकाता, अपने एक साथी के साथ मार गिराया गया.
स्थानीय युवकों की बड़े पैमाने पर की जा रही है भर्ती
उत्तर कश्मीर में सक्रिय ज्यादातर आतंकी पाकिस्तान से संबंधित हैं, जबकि दक्षिण कश्मीर में स्थानीय आतंकी सक्रिय हैं. सीमा पार बैठे इनके सरगनाओं का मानना है कि स्थानीय समर्थन और सहानुभूति हासिल करने के लिए इन्हें स्थानीय, खासकर उत्तर कश्मीर में भी पैर जमाना पड़ेगा. कश्मीर घाटी में अभी 350-400 आतंकी सक्रिय हैं और जनवरी से अब तक घाटी के 164 युवकों ने आतंकवाद का रास्ता अख्तियार किया है. यह संख्या पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है. साल 2015 में 66 कश्मीरी युवक और 2016 में 88 कश्मीरी युवक आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए थे, जबकि 2017 में यह संख्या बढ़कर 120 हो गयी. इस साल जनवरी से अब तक यह संख्या 180 तक पहुंच गयी है. 44 बार सीमा पार से संघर्ष विराम उल्लंघन हुआ.
सोशल मीडिया के जरिये नेताओं को दी जाती है धमकी
दक्षिण कश्मीर में आतंकी सोशल मीडिया के जरिए पुलिस जवानों, सेना के खबरी, मुख्यधारा के नेताओं को धमका रहे हैं. जिसे देखते हुए प्रशासन ने कई बार इस इलाके में मोबाइल, इंटरनेट सेवाएं भी बंद की. उत्तर कश्मीर के कुपवाड़ा और बारामुला जिलों से कुछ वीडियो वायरल हुए जिसमें लश्कर-ए-तैयबा से संबंधित स्थानीय आतंकी राज्य में स्थानीय नेताओं को धमकाते हुए पाये गये कि यदि उन्होंने राजनीति नहीं छोड़ी तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उत्तर कश्मीर में दक्षिण कश्मीर की तुलना में आतंकियों की संख्या कम नहीं है. जिस तरह से दक्षिण कश्मीर में आतंकी सार्वजनिक सभाओं, मस्जिदों और बाजारों में देखे जाते थे उसी तरह अब उत्तर कश्मीर में भी युवकों ने मुठभेड़ स्थलों पर सुरक्षाबलों से मोर्चा लेना शुरू कर दिया है.