तूल पकड़ा साईं विवाद,शंकराचार्य ने कहा,उमा भारती मामले में मोदी के दखल की जरूरत नहीं

नयी दिल्‍ली :शिरडी साईं बाबा पर शंकराचार्य स्‍वरूपानंद सरस्‍वती के बयान पर अब राजनीति शुरू हो गयी है. भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने इस मामले में साईं भक्‍तों के साथ खड़ी दिख रही है. उन्‍होंने शंकराचार्य के बारे में टिप्‍पणी करने से तो इनकार कर दिया है, लेकिन उन्‍होंने साईं बाबा के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2014 2:03 PM

नयी दिल्‍ली :शिरडी साईं बाबा पर शंकराचार्य स्‍वरूपानंद सरस्‍वती के बयान पर अब राजनीति शुरू हो गयी है. भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने इस मामले में साईं भक्‍तों के साथ खड़ी दिख रही है. उन्‍होंने शंकराचार्य के बारे में टिप्‍पणी करने से तो इनकार कर दिया है, लेकिन उन्‍होंने साईं बाबा के प्रति आस्‍था की बात कही है.

इस मामले में अब शंकराचार्य ने कहा है कि उमा भारती मुद्दे पर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न पड़ने की बात कही है. उन्‍होंने कहा कि इस मामले में मोदी को नहीं पड़ना चाहिए मैं ही काफी हूं. शंकराचार्य स्‍वरूपानंद ने उमा भारती को अपनी चुप्‍पी तोड़ने को कहा है. उन्‍होंने कहा कि उमा भारती जब इस मामले में अपना पैर डाल चुकी हैं तो अब उन्‍‍हें अपना पक्ष साफ करना चाहिए.

शिरडी साईंबाबा पर दिए गए अपने बयान से पीछे हटने से इंकार करते हुए शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद ने उन्हें एक मुस्लिम फकीर बताया जिसकी एक हिंदू देवता के समान पूजा नहीं हो सकती और कहा कि यदि उन्हें जेल भी भेज दिया जाता है तो भी हिंदू धर्म की रक्षा करने का उनका अभियान जारी रहेगा.

यहां कनखल में भारत साधु समाज की केंद्रीय कार्य समिति की एक बैठक को संबोधित करते हुए आज शंकराचार्य ने कहा, वे मेरा पुतला जला सकते हैं या मुझे जेल तक भेज सकते हैं लेकिन हिंदू धर्म की पवित्रता की रक्षा करने का मेरा अभियान जारी रहेगा

उन्होंने कहा, साईंबाबा एक मुस्लिम फकीर थे जिनकी तुलना हिंदू देवी देवताओं से नहीं की जा सकती या उनकी तरह उन्हें पूजा नहीं जा सकता. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ ताकतें मनमाने तरीके से नए देवताओं को बनाकर हिंदू धर्म को भ्रष्ट कर रही हैं. ज्योतिषपीठाधीश्वर शंकराचार्य ने कहा कि ऐसी ताकतों से हिंदू धर्म की रक्षा किए जाने की जरुरत है.

उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म की रक्षा के उनके अभियान का उन्हीं लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा है जिन्होंने धर्म को आजीविका का साधन बना लिया है. स्वामी स्वरुपानंद को लिखा गया केंद्रीय मंत्री उमा भारती का पत्र भी बैठक में पढ़कर सुनाया गया. उमा भारती ने अपने बयान के पीछे के तर्क की व्याख्या करते हुए कहा था कि किसी को भगवान के रुप में देखना किसी व्यक्ति का निजी विचार है.

भारती की व्याख्या से स्वामी स्वरुपानंद संतुष्ट नजर नहीं आए और कहा कि ऐसा लगता है कि उमा भारती ने साईंबाबा की वे तस्वीरें नहीं देखी हैं जिनमें उन्हें शिव और विष्णु की तरह हिंदू देवाताओं के रुप में चित्रित किया गया है.

उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा, साईंबाबा की मूर्तियां घरों में लगायी गयी हैं. यदि वे हमारे मंदिरों में लगायी जाएं तो क्या हो? उन्होंने कहा कि जब उमा भारती केंद्र में मंत्री बनीं तो उन्होंने सोचा था कि एक रामभक्त केंद्रीय मंत्री बनी हैं और अयोध्या में जल्द ही भगवान राम का मंदिर हकीकत बनेगा लेकिन उनसे गलती हो गयी क्योंकि उमा भारती एक मुस्लिम की पुजारिन निकलीं. स्वामी प्रेमानंद ने तो इससे भी आगे बढ़कर इस मुद्दे पर उमा भारती के इस्तीफे की मांग तक कर डाली.

उमा भारती को इस मामले में पड़ते देख शंकराचार्य स्‍वरूपानंद सरस्‍वती भड़क गये हैं. उन्‍होंने उमा भारती को इस मुद्दे में न पड़ने की सलाह दी है. शंकराचार्य ने कहा उमा ने अपनी भक्ति का स्वरूप बिगाड़ लिया है, उनसे राम भगवान नाराज हैं. उमा भारती को जनता ने शासक के रूप में चुना है उन्‍हें धर्म के मामले में नहीं पड़ना चाहिए. शंकराचार्य ने कहा, उमा भारती मंत्री हैं कोई भगवान नहीं हैं. उमा से भगवान राम नाराज है वह मुलसमान की पूजा करतीं है. उमा ने अपनी छवि बदल ली है कहां एक तरफ वह भगवान राम का मंदिर बनवाना चाहती थीं लगता है जैसे भगवान के नाराज होने के कारण मंदिर नहीं बन सका.

शंकराचार्य के बयान पर उमा भारती ने कहा था कि स्‍वरूपानंद सरस्‍वती उनके पिता जैसे हैं इसलिए मैं उनपर कोई टिप्‍पणी नहीं करूंगी, लेकिन मुझे साईं बाबा पर आस्‍था है. साईं बाबा ने कभी अपने को भगवान नहीं कहा और न ही उनपर आस्‍था रखने वाले उन्‍हें भगवान का दर्जा दिया है. साईं के मंदिरों के निर्माण पर रोक लगाया जाना गलत है.

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