पुणे : अरुणाचल प्रदेश में अपने कैंप में लगी आग की चपेट में आने के कारण जान गंवा चुके मेजर प्रसाद महादिक की पत्नी अपने दिवंगत पति के नक्शेकदम पर चलेंगी और प्रशिक्षण पूरा होने के बाद अगले साल भारतीय थलसेना में शामिल होंगी.
चेन्नई स्थित अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (OTA) में प्रवेश के लिए तैयार गौरी महादिक (32) ने बताया कि अपने पति की मृत्यु पर शोक मनाते रहने की बजाय वह उनकी वर्दी और सितारों से लैस होकर उन्हें उचित श्रद्धांजलि देना चाहती हैं.
साल 2012 में थलसेना में शामिल हुए और बिहार रेजिमेंट की सातवीं बटालियन से अपना सैन्य करियर शुरू करने वाले मेजर महादिक की मौत दिसंबर 2017 में भारत-चीन सीमा के पास तवांग स्थित उनके कैंप में लगी आग की चपेट में आने से हो गई.
ओटीए में 49 हफ्तों का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद गौरी मार्च 2020 तक थलसेना में लेफ्टिनेंट के तौर पर शामिल होंगी. गौरी कंपनी सचिव की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और विधि स्नातक भी हैं.
उन्होंने हाल में विधवा श्रेणी में सेवा चयन बोर्ड (SSB) की परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त किया था. उन्होंने बताया, अपने पति की मृत्यु के बाद मैं सोच रही थी कि आगे क्या किया जाए.
मैंने सोचा कि मैं सिर्फ बैठकर रो नहीं सकती. इसलिए मैंने फैसला किया कि मुझे उनके लिए कुछ करके उन्हें गौरवान्वित करना चाहिए.
मुंबई के विरार इलाके से फोन पर बातचीत में गौरी ने कहा, मैंने उनके नक्शे कदम पर चलने का फैसला किया और उनकी वर्दी एवं सितारे पहनने के समर्पण के साथ मैंने एसएसबी परीक्षा की तैयारी शुरू की.
गौरी ने कहा कि कठिन परीक्षा की तैयारी के अभाव में वह अपने पहले प्रयास में सफल नहीं हो सकीं. उन्होंने कहा, लेकिन अगले प्रयास में मैंने कड़ी तैयारी की और तय किया कि इस बार मैं सिर्फ परीक्षा ही उत्तीर्ण नहीं करूंगी बल्कि इसमें शीर्ष स्थान प्राप्त करूंगी.
मैंने परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है. गौरी ने कहा कि अब वह प्रशिक्षण के लिए ओटीए (OTA) जाएंगी. उन्होंने कहा कि पति की मृत्यु के बाद उनके माता-पिता और सास-ससुर ने उनका काफी समर्थन किया.
गौरी ने मेजर महादिक से 2015 में शादी की थी. अपने पति की मृत्यु के बाद उन्होंने मुंबई के वर्ली की एक लॉ फर्म की नौकरी छोड़ दी और एसएसबी परीक्षा की तैयारी में जुट गईं.