1971 के बाद पहली बार वायुसेना ने पाक में घुसकर मारा, सात एयरबेस हुए थे तबाह, पाक ने बांग्लादेश को दिया था जन्म

पुलवामा हमले का बदला लेते हुए भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. वायुसेना के मिराज-2000 लड़ाकू विमान ने पीओके के मुजफ्फराबाद तथा चकोटी और खैबर पख्तूनख्वा के बालाकोट में घुसकर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया है. पांच दशक में पहली बार वायुसेना ने न सिर्फ एलओसी, बल्कि पीओके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 27, 2019 5:59 AM

पुलवामा हमले का बदला लेते हुए भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. वायुसेना के मिराज-2000 लड़ाकू विमान ने पीओके के मुजफ्फराबाद तथा चकोटी और खैबर पख्तूनख्वा के बालाकोट में घुसकर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया है.

पांच दशक में पहली बार वायुसेना ने न सिर्फ एलओसी, बल्कि पीओके को पारके आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की है. हालांकि, यह कोई पहला मौका नहीं, जब देश की वायुसेना ने इस तरह का जांबाजी दिखायी है. इससे पहले भी 1965 और 1971 की लड़ाई में वायुसेना ने अपने शौर्य से दुश्मन के दांत खट्टे कर चुका है. इसके अलावा, 1999 के करगिल युद्ध में वायुसेना के मिराज-2000 विमान और लेजर गाइडेड बम ने भूमिका निभायी थी.

1965, 1971 और 1999 में वायुसेना ने पाकिस्तान को चटायी थी धूल

1971 : पाकिस्तान के सात एयरबेस तबाह, बांग्लादेश का जन्म

तीन दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान की वायुसेना ने भारतीय वायुसेना के 12 स्टेशन पर हमला बोल दिया था. इसमें भारत के अमृतसर और आगरा समेत कई शहरों को निशाना बनाया गया था. पाकिस्तान ने अपने इस ऑपरेशन को ‘चंगेज खां’ नाम दिया था. उस वक्त प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को करारा जवाब देने की ठान ली थी. इसके साथ ही 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की शुरुआत हो गयी.

भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के मुरीद, मिंयावाली, सरगोथा, चांदेर, त्रिसालेवाला, रफीकी और मसरुर एयरबेस को तबाह कर दिया. युद्ध के पहले दिन ही पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ. यह लड़ाई 14 दिन तक चली थी. 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान की सेना के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने ढाका में आत्मसमर्पण किया था और बांग्लादेश के जन्म के साथ युद्ध का समापन हुआ.

1965 : मुहतोड़ जवाब

पाकिस्तान ने 1965 में ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम शुरू किया और उसने जम्मू-कश्मीर के अखनूर को निशाना बनाया. उस वक्त भारतीय वायुसेना के प्रमुख अर्जन सिंह थे. युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना के पास 28 लड़ाकू स्कैवड्रैन थे, जबकि पाकिस्तानी वायुसेना के पास केवल 11 थे. मगर पाकिस्तान ने ऐसे वक्त पर हमला किया, जब भारतीय सेना तैयार नहीं थे. भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया और संघर्ष विराम लागू होने तक पाकिस्तान को काफी नुकसान पहुंचाया.

करगिल में वायुसेना ने दिखायी ताकत

करगिल युद्ध में भी वायुसेना का शैर्य को देखने को मिला था. बता दें कि पाकिस्तान की सेना नियंत्रण रेखा पार करके भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की. भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया. जब यह विमान नाकाम होने लगे, तो वायुसेना ने मिराज-2000 से लेजर गाइडेड बम गिराया.

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