भारतीय पायलट अभिनंदन की हिरासत जिनेवा संधि के तहत

नयी दिल्ली : भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को पाकिस्तान द्वारा बुधवार को हिरासत में लेने का मामला 1929 की जिनेवा संधि के तहत आयेगा. उनके विमान को गिराये जाने के बाद पाकिस्तान ने उन्हें हिरासत में ले लिया. पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने ट्विटर पर कहा, पाकिस्तानी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 27, 2019 9:43 PM

नयी दिल्ली : भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को पाकिस्तान द्वारा बुधवार को हिरासत में लेने का मामला 1929 की जिनेवा संधि के तहत आयेगा. उनके विमान को गिराये जाने के बाद पाकिस्तान ने उन्हें हिरासत में ले लिया. पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने ट्विटर पर कहा, पाकिस्तानी सेना की हिरासत में सिर्फ एक पायलट है. विंग कमांडर अभिनंदन के साथ सैन्य आचरण के मुताबिक सलूक किया जा रहा है.

युद्ध बंदियों का सरंक्षण (पीओडब्ल्यू) करनेवाले नियम विशिष्ट हैं. इन्हें पहले 1929 में जिनेवा संधि के जरिये ब्योरे वार किया गया था और द्वितीय विश्व युद्ध से सबक सीखते हुए 1949 में तीसरी जिनेवा संधि में उनमें संशोधन किया गया था. नियमों के मुताबिक, जंगी कैदी का संरक्षण का दर्जा अंतरराष्ट्रीय सशस्त्र संघर्षों में ही लागू होता है. संधि के मुताबिक, युद्ध बंदी वह होते हैं जो संघर्ष के दौरान आमतौर पर किसी एक पक्ष के सशस्त्र बलों के सदस्य होते हैं जिन्हें प्रतिद्वंद्वी पक्ष अपनी हिरासत में ले लेता है. यह कहता है कि पीओडब्ल्यू को युद्ध कार्य में सीधा हिस्सा लेने के लिए उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है.

इसके मुताबिक, उनकी हिरासत सजा के तौर पर नहीं होती है, बल्कि इसका मकसद संघर्ष में उन्हें फिर से हिस्सा लेने से रोकना होता है. युद्ध खत्म होने के बाद उन्हें रिहा किया जाना चाहिए और बिना किसी देरी के वतन वापस भेजना चाहिए. हिरासत में लेनेवाली शक्ति उनके खिलाफ संभावित युद्ध अपराध के लिए मुकदमा चला सकती है, लेकिन हिंसा की कार्रवाई के लिए नहीं जो अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के तहत विधिपूर्ण है. नियम साफतौर पर कहते हैं कि जंगी कैदियों के साथ हर परिस्थिति में मानवीय तरीके से सलूक किया जाना चाहिए. जिनेवा संधि कहती है कि वह हिंसा की किसी भी कार्रवाई के साथ-साथ डराने, अपमानित करने और सार्वजनिक नुमाइश से पूरी तरह से सरंक्षित हैं.

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