खुले में शौच रेप का बड़ा कारण, मानवाधिकार आयोग ने भेजा सरकार को नोटिस
नयी दिल्लीः इस रिपोर्ट के बाद कि भारत में 62 करोड़ लोग खुले में शौच करते हैं और उनमें से 30 प्रतिशत महिलाएं जो खुले में शौच करने जाती है यौन प्रताडना का शिकार होती है, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केंद्र सरकार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस भेजा है और उनसे शौचालय की […]
नयी दिल्लीः इस रिपोर्ट के बाद कि भारत में 62 करोड़ लोग खुले में शौच करते हैं और उनमें से 30 प्रतिशत महिलाएं जो खुले में शौच करने जाती है यौन प्रताडना का शिकार होती है, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केंद्र सरकार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस भेजा है और उनसे शौचालय की कमी के कारणों पर रिपोर्ट देने को कहा है.
आज एक बयान में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा कि उसने केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के सचिव तथा सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों से चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है.
यह नोटिस आयोग ने मीडिया में छपी एक रिपोर्ट के बाद जारी किया है जिसमें 2011 के आंकडों का हवाला देते हुए कहा गया था कि देश की आधी आबादी शौच के लिए बाहर जाती है. रिपोर्ट में कहा गया था कि झारखंड और उडीसा में 77 फीसदी, बिहार में 76 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 64 फीसदी घरों में शौचालय नहीं है.
इसके पहले यूपीए सरकार ने अक्टूबर 2013 में इस बात पर सहमति जतायी थी कि घरों में शौचालय नहीं होना देश में रेप की घटना में बढ़ोतरी का एक महत्वपूर्ण कारण है.
हाल ही में बदायूं में हुई घटना इस रिपोर्ट को पुख्ता करती है. गौरतलब है कि यूपी के बदायूं में दो बहनें शौच के लिए बाहर निकली थी. इन दोनों का रेप के बाद हत्या कर पेड़ से लटका दिया गया था. इसके अलावा जून 2014 में यूपी की देवरिया जिले में शौच के लिए निकली छह वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना सामने आयी. जून में ही महाराजगंज में एक बच्ची के साथ रेप के बाद उसे जिंदा दफना दिया गया था. यह भी शौच के लिए बाहर गयी हुई थी.
यह केवल एक उदाहरण है. ऐसी घटना देश में प्रायः घटती रहती है. रेप के अलावा शौच के लिए बाहर निकली महिलाओं के साथ छेडखानी व छींटाकसी जैसी घटनाएं तो आम है.