नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने यहां एक परिसर खाली करने के केंद्र के आदेश को चुनौती देनेवाली कांग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एजेएल की याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि पट्टे से जुड़ी शर्तों का दुरुपयोग किया गया है.
उच्च न्यायालय ने कहा कि एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के शेयर यंग इंडियन (वाईआई) कंपनी को हस्तांतरित करने का पूरा लेन-देन वाईआई को परिसर में लुभावने हितों का गुप्त एवं अवैध हस्तांतरण था. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने एकल न्यायाधीश के गत दिसंबर के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें केंद्र के बेदखली आदेश के खिलाफ एजेएल की याचिका खारिज कर दी गयी थी और उसे दो सप्ताह में आईटीओ क्षेत्र में स्थित परिसर हेराल्ड हाउस खाली करने का निर्देश दिया गया था. पीठ ने कहा, अगर इन सभी कारकों पर गौर किया जाये और प्रतिवादी (केंद्र) के निर्णय को देखा जाये, तो कहा जा सकता है कि जिस मुख्य वजह से पट्टा दिया गया उसका उल्लंघन हुआ है और पट्टे की शर्तों का दुरुपयोग हुआ है, द्वेषपूर्ण मंशा की अनुपस्थिति में अदालत ने इस मामले में हस्तक्षेप करने इनकार करने का सही निर्णय किया.
पीठ ने कहा, हमें इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए रिट अदालत द्वारा पारित तर्कसंगत आदेश में हस्तक्षेप का भी कोई कारण नजर नहीं आता. पीठ ने कहा कि इस मामले में हस्तक्षेप का कोई आधार नजर नहीं आता और हम याचिका खारिज करते हैं. एकल न्यायाधीश ने आईटीओ स्थित परिसर दो हफ्ते के अंदर खाली करने का 21 दिसंबर 2018 को आदेश दिया था. इसके खिलाफ एजेएल ने याचिका दायर की थी. उसने केंद्र के 30 अक्तूबर 2018 के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसके 56 साल के पट्टे को खत्म कर दिया था और उससे परिसर इस आधार पर खाली करने को कहा था कि प्रिटिंग या प्रकाशन का कोई काम नहीं चल रहा है और इमारत का इस्तेमाल केवल वाणिज्यिक उद्देश्यों से किया जा रहा है.
केंद्र और भूमि एवं विकास कार्यालय ने अपने आदेश में कहा था परिसर में बीते दस वर्ष से प्रेस का कोई काम नहीं हो रहा है और इसका इस्तेमाल पट्टे की शर्तों का उल्लंघन करके केवल वाणिज्यिक उद्देश्यों से हो रहा है. एजेएल ने हालांकि उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके आरोपों को नकारा था.