विश्वविद्यालय फैकल्टी की नियुक्ति में 13 प्वाइंट रोस्टर को हटाने के लिए अध्यादेश लायेगी सरकार

नयी दिल्ली : एससी, एसटी और ओबीसी को विश्वविद्यालय फैकल्टी में भर्ती के लिए आरक्षण किस आधार पर दिया जाये, इसपर विवाद बढ़ गया है और 13 प्वाइंट रोस्टर का देशव्यापी विरोध होने के बाद केंद्र सरकार बैकफुट पर आ गयी है. आज केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने स्पष्ट संकेत दिया कि सरकार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 5, 2019 3:22 PM


नयी दिल्ली :
एससी, एसटी और ओबीसी को विश्वविद्यालय फैकल्टी में भर्ती के लिए आरक्षण किस आधार पर दिया जाये, इसपर विवाद बढ़ गया है और 13 प्वाइंट रोस्टर का देशव्यापी विरोध होने के बाद केंद्र सरकार बैकफुट पर आ गयी है. आज केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने स्पष्ट संकेत दिया कि सरकार इसके खिलाफ अध्यादेश लायेगी.आज केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संकेत दे दिया है कि सरकार 13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ अध्यादेश लायेगी. उन्होंने आज कहा कि हमारे पास 200 पॉइंट रोस्टर की एक प्रणाली है, जहां विश्वविद्यालय को एक इकाई माना जाता है, लेकिन अदालत ने इसके खिलाफ फैसला किया और विभागीय रोस्टर के लिए निर्देश दिया. हमने इसके खिलाफ रिव्यू पीटिशन दायर किया था, जो खारिज हो गया.

उन्होंने कहा कि हम 200 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ हैं और हम इसे लागू करने जा रहे हैं. बस कैबिनेट की अंतिम बैठक का इंतजार कीजिए दो दिन के बाद यूनिवर्सिटी कम्यूनिटी को न्याय मिल जायेगा. मैं इसके लिए आश्वस्त हूं क्योंकि मोदी सरकार सोशल जस्टिस में विश्वास करती है. 13 प्वाइंट रोस्टर का पूरे देश में विरोध होने पर सरकार बैकफुट पर आ गयी है.

क्या है 13 प्वाइंट रोस्टर

13 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली के अनुसार महाविद्यालय-विश्वविद्यालयों के सहायक प्राध्यापक पद पर नियुक्ति हेतु विषयवार/विभागवार आरक्षण रोस्टर तैयार किया जाएगा. यह 13 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली पर आधारित होगा. इसमें प्रथम तीन पद सामान्य के लिए और चौथा पद OBC के लिए आरक्षित रहेगा. पांचवां-छठा पद भी सामान्य रहेगा. सातवां पद SC और 14वां पद ST के कोटे में जाएगा. अर्थात एक विषय में 04 रिक्तियां होंगी तो एक OBC को मिलेगा, 07 रिक्तियां होने पर एक पद SC को तथा 14 रिक्तियां होने पर एक पद ST के खाते में जाएगा. अब स्थिति यह है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय में रिक्तियां काफी कम होती हैं, मुश्किल से एक या दो पदों की ही रिक्ति निकलती है. ऐसे में रिजर्व कैंडिडेट को विश्वविद्यालय में नौकरी मिलना कठिन हो गया था.

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