न्यायमूर्ति सीकरी हुए सेवानिवृत्त, बोले – प्रत्येक न्यायाधीश में नारीत्व के कुछ अंश होने चाहिए

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर बुधवार को सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति एके सीकरी ने कहा कि पूर्ण न्याय करने के लिए प्रत्येक न्यायाधीश में नारीत्व के कुछ अंश होने चाहिए. उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में न्यायमूर्ति सीकरी भावुक हो गये और अपने पूरे करियर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 6, 2019 10:28 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर बुधवार को सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति एके सीकरी ने कहा कि पूर्ण न्याय करने के लिए प्रत्येक न्यायाधीश में नारीत्व के कुछ अंश होने चाहिए.

उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में न्यायमूर्ति सीकरी भावुक हो गये और अपने पूरे करियर के दौरान मिली मदद के लिए न्यायपालिका एवं वकीलों का धन्यवाद किया. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई एवं न्यायमूर्ति एसए बोबडे के साथ पीठ में शामिल होने के दौरान भी उनकी आंखें नम हो गयी थीं. शाम में शीर्ष अदालत के लॉन में एससीबीए के कार्यक्रम के दौरान न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा, प्रकृति से मेरा कुछ अंश नारी सा है. इस लिंग में जिस तरह के गुण होते हैं, अगर उस पर जायें तो मेरे विचार में पूर्ण न्याय करने के लिए प्रत्येक न्यायाधीश में नारीत्व के कुछ अंश होने चाहिए. उन्होंने कहा, आखिर न्याय की प्रतीक एक देवी हैं. बेशक उसकी आंख पर पट्टी बंधी है, लेकिन उसका दिल बंद नहीं है जहां से निष्पक्ष न्याय के गुण निकलते हैं. प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने कहा कि न्यायमूर्ति सीकरी द्वारा प्रदर्शित आचरण एवं संवेदनशीलता युवाओं को प्रेरित करना जारी रखेगी.

Next Article

Exit mobile version