एक लाख करोड़ की शत्रु संपत्ति का ‘सार्वजनिक इस्तेमाल’ कर सकेंगी राज्य सरकारें, गृह मंत्रालय ने दी मंजूरी
नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गये या फिर 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद चीन चले गये लोगों द्वारा छोड़ी गयी कुछ शत्रु संपत्तियों के ‘सार्वजनिक इस्तेमाल’ की इजाजत राज्य सरकारों को दे दी है. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी. इसे भी पढ़ें : अमेरिका के विदेश […]
नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गये या फिर 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद चीन चले गये लोगों द्वारा छोड़ी गयी कुछ शत्रु संपत्तियों के ‘सार्वजनिक इस्तेमाल’ की इजाजत राज्य सरकारों को दे दी है. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी.
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यह कदम केंद्र सरकार के उन प्रयासों के बीच आया है, जिसके तहत वह एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य की 9,400 शत्रु संपत्तियों और 3,000 करोड़ रुपये मूल्य की शत्रु हिस्सेदारी को बेचने का प्रयास कर रही है.
गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गयी अधिसूचना के मुताबिक, शत्रु संपत्ति आदेश, 2018 के निस्तारण के लिए दिशा-निर्देशों में संशोधन किया गया है, जिससे ‘राज्य सरकार द्वारा शत्रु संपत्ति का इस्तेमाल खासतौर पर सार्वजनिक इस्तेमाल’ के लिए किया जा सके.
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शत्रु संपत्तियां वो संपत्तियां हैं, जो उन लोगों द्वारा पीछे छोड़ी गयीं, जिन्होंने पाकिस्तान और चीन की नागरिकता ले ली. मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तानी नागरिकों की ऐसी 9,280 संपत्तियां हैं, जबकि चीनी नागरिकों द्वारा 126 संपत्तियां यहां छोड़ी गयी हैं.
पाकिस्तानी नागरिकता लेने वाले लोगों द्वारा छोड़ी गयी संपत्तियों में से 4,991 उत्तर प्रदेश में हैं, जो देश में सबसे ज्यादा हैं. पश्चिम बंगाल में ऐसी 2,735 संपत्तियां हैं, जबकि दिल्ली में 487 संपत्तियां हैं.
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चीनी नागरिकों द्वारा छोड़ी गयी सबसे ज्यादा संपत्तियां मेघालय में हैं, जहां ऐसी 57 संपत्तियां हैं. पश्चिम बंगाल में ऐसी 29 और असम में सात संपत्तियां हैं. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने पिछले साल राज्यसभा को बताया था कि ‘शत्रु संपत्तियों’ का अनुमानित मूल्य लगभग एक लाख करोड़ रुपये है.