कश्मीर लोकसभा चुनाव : दो माह जान सांसत में रहेगी कश्मीरी जनता की
जम्मू : देशभर में लोकसभा चुनावों के लिए सिर्फ राजनीतिक दल ही कमर कस रहे हैं, पर जम्मू कश्मीर में कई पक्ष इसके लिए कमर कसने लगे हैं. राजनीतिक दलों की ओर से चुनावी समर में कूदने की कवायद अगर तेज हुई है, तो सुरक्षाबलों के लिए यह मोर्चा आसान इसलिए नहीं है, क्योंकि आतंकियों […]
जम्मू : देशभर में लोकसभा चुनावों के लिए सिर्फ राजनीतिक दल ही कमर कस रहे हैं, पर जम्मू कश्मीर में कई पक्ष इसके लिए कमर कसने लगे हैं. राजनीतिक दलों की ओर से चुनावी समर में कूदने की कवायद अगर तेज हुई है, तो सुरक्षाबलों के लिए यह मोर्चा आसान इसलिए नहीं है, क्योंकि आतंकियों के साथ-साथ पाकिस्तान भी इन चुनावों के दौरान गड़बड़ी कर सकता है. लिहाजा, इस बार करीब दो माह तक कश्मीरी जनता की जान सांसत में रहेगी.
वैसे चुनाव प्रचार अवधि कम होने का लाभ चुनाव मैदान में उतरने वाले उठाना चाहते हैं. इस बार भी प्रचार अवधि कम होने पर सबसे अधिक खुशी उन लोगों को है, जो कश्मीर से अपना भाग्य आजमाने की तैयारियों में जुटे हुए हैं.
हालांकि वर्ष 1996 में राज्य में होने वाले लोकसभा चुनावों में लंबी चुनाव प्रचार अवधि के कारण अधिकतर प्रत्याशी भय के कारण प्रचार आरंभ ही नहीं कर पाये थे. सुरक्षाबलों को जारी किये निर्देशों में कहा गया है कि वे सिर्फ मतदान के दिन ही सतर्कता और चौकसी का परिचय न दें, बल्कि अधिसूचना जारी होने से लेकर मतों की गिनती पूरी होने तक की अवधि में चौकसी और सतर्कता बरतनी होगी. अधिकारियों का मानना है कि इस बार खतरा अधिक है. इस खतरे का एक कोण पाकिस्तान है. वह दोस्ती के हाथ बढ़ा रहा है, लेकिन वह भीतरघात की नीति का त्याग अभी भी नहीं कर पाया है.
अकेली सीट, जहां तीन चरण मेें होंगे लोकसभा के चुनाव
जम्मू कश्मीर के छह संसदीय सीटें हैं. इनमें से पांच सीटों के लिए एक-एक चरण में चुनाव होंगे, किंतु आतंकवादी घटनाओं के कारण अति संवेदनशील अनंतनाग-पुलवामा संसदीय क्षेत्र में जीन चरणों में वोट कराये जायेंगे. यहां 23 व 29 अप्रैल तथा 6 मई को मतदान होंगे. संसदीय क्षेत्र को तीन भागों में बांटा गया है. सुरक्षा के इंतजाम के लिए अतिरिक्त फोर्स की मांग की गयी है.