बोले केजरीवाल- भारत-पाक मामले पर भाजपा को जो फायदा होना चाहिए, वो उसे नहीं मिला
नयी दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कांग्रेस और भाजपा को आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि 70 साल से दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. दिल्ली दूसरे नंबर पर आयकर देने का काम करती है लेकिन बदले में दिल्ली पर केवल […]
नयी दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कांग्रेस और भाजपा को आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि 70 साल से दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. दिल्ली दूसरे नंबर पर आयकर देने का काम करती है लेकिन बदले में दिल्ली पर केवल 325 करोड़ रुपये खर्च करती है. हमारे पूछने पर कहते हैं कि दिल्ली आधा राज्य है इसलिए ऐसा किया जा रहा है.
केजरीवाल ने आगे कहा कि हमारे पास जो काम थे, गली, मोहल्ले, सीवर के वे हमने पूरे किए लेकिन दिल्ली को और बेहतर बनाने के लिए हमें दिल्ली के पास पूर्ण राज्य का दर्जा होना जरूरी है. दिल्ली के कॉलेजों में 50 प्रतिशत सीटें दिल्ली के लोगों के लिए रिजर्व होनी चाहिए, दिल्ली में सरकारी नौकरियों में भी दिल्ली के लोगों को आरक्षण मिलना चाहिए. दिल्ली में पूर्ण राज्य का दर्जा न होने के कारण हम ऐसा कुछ भी करने में सक्षम नहीं थे.
उन्होंने कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने के मुद्दे पर ही लोकसभा चुनाव लड़ा जाएगा. मनोज तिवारी ने साफ कर दिया कि दिल्ली को पूर्ण राज्य देने के वे पक्ष में नहीं है. उन्होंने लोगों को बेवकूफ बनाने का काम किया है. मोदी जी ने भी इस मामले पर कुछ नहीं किया लेकिन इसबार हम दिल्ली की जनता के साथ मिलकर इस मुद्दे को उठाएंगे.
केजरीवाल ने कहा कि भारत-पाक के मामले पर भाजपा को जो फायदा होना चाहिए वो उसे नहीं मिला, बल्कि वो उसके लिए निगेटिव हो गया है. लोगों से हमने प्रश्न पूछे थे कि क्या वे भाजपा के पक्ष में है तो 56 प्रतिशत लोगों ने नकारात्मक रूप से जवाब दिया, लोगों ने बोला कि हमें अदेंशा था कि ये लोग चुनाव से पहले कुछ न कुछ जरूर करेंगे.
कांग्रेस के साथ गंठबंधन पर उन्होंने कहा कि हमें गठबंधन के विषय में उतनी ही जानकारी है जितनी मीडिया से प्राप्त हुई. देश पहले आता है पार्टी बाद में आती है. लेकिन हमारा सर्वे कहता है कि हम बिना कांग्रेस के साथ गठबंधन किए भी दिल्ली की 7 में से 7 सीटें जीत जाएंगे.
उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोग हर साल 1.5 लाख करोड़ का इनकम टैक्स केंद्र सरकार को देते हैं. गोवा जैसे कम आबादी वाले राज्य पर केंद्र सरकार 3200 करोड़ खर्च करती है, और दिल्ली को सिर्फ 325 करोड़ दिया जाता है.