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मशहूर पत्रकार पुण्यप्रसून वाजपेयी ने 30 जून को ट्वीट किया है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ बदल रहा है. अपनी इस बात को पुख्ता करने के लिए उन्होंने लिखा है कि दत्तात्रेय होसबोल फीफा वर्ल्ड कप पर लिख रहे हैं,शुभकामनाएं दे रहे हैं, कृष्ण गोपाल बौद्ध धर्म समझा रहे हैं, तो मोहन भागवत पढे़-लिखो को वैवाहिकता का पाठ पढ़ा रहे हैं.
आरएसएस बदल रहा है!दत्तात्रेय होसबोले फीफा पर लिख रहे है!कृष्ण गोपाल बौध धर्म समझा रहे है !भागवत जी पढे-लिखो को वैवाहिकता का पाठ समझा रहे है!
— punya prasun bajpai (@ppbajpai) July 1, 2014
दत्तात्रेय होसबोल संघ के बड़े नेता हैं. उन्होंने फीफा वर्ल्डकप के प्रतिभागियों को शुभकानाएं देते हुए लिखा है कि एक बॉल ने पूरे विश्व को एकजुट कर रहा है, यह हमारे देश के वसुधैव कुटंबकम् की सोच को मजबूत करता है.
नि: संदेह वाजपेयी का ट्वीट सच के काफी करीब है और इस बदलाव की नींव उसी दिन पड़ गयी थी, जिस दिन मोहन भागवत संघ प्रमुख बने थे. वर्ष 2009 में जब मोहन भागवत को सर संघचालक बनाया गया था, उसी वक्त इस बात के संकेत मिल गये थे कि संघ में बड़ा बदलाव होगा.
समय के साथ चलते हैं मोहन भागवत
भागवत की पहचान एक ऐसे नेता के रूप में थी, जो काफी व्यावहारिक थे. उन्होंने बदलाव के पक्ष में बयान देते हुए एक बार यह कहा था कि हम एक कुएं का खारा पानी सिर्फ इसलिए नहीं पी सकते, क्योंकि उसे हमारे पूर्वजों ने खुदवाया था. भागवत का मानना है कि हमें सिद्धांतों की कद्र करनी चाहिए, लेकिन समय के साथ उनमें परिवर्तन जरूरी है. भागवत ही संघ के ऐसे नेता हैं जिन्होंने यह कहा कि हम किसी के विरोधी नहीं, बल्कि हिंदूत्व के समर्थक हैं. एक तरह से यह कहा जाये कि भागवत ने संघ का आधुनिकीकरण किया, तो गलत नहीं होगा.
संघ में बदलाव से ही भाजपा को मिला सत्ता सुख
आज देश में नरेंद्र मोदी की सरकार है. इस सरकार के गठन में प्रत्यक्ष रूप से भले ही नरेंद्र मोदी की भूमिका नजर आ रही हो, लेकिन इस बात से सभी वाकिफ है कि इस सरकार कोे सत्ता में पहुंचाने के रणनीतिकार मोहन भागवत हैं. इन्हीं का वरदहस्त पाकर नरेंद्र मोदी जैसे नेता का भाजपा में उदय हुआ और उन्हें पार्टी पीएम उम्मीदवार घोषित कर पायी. भागवत ने हिंदू समाज में व्याप्त बुराइयों को मिटाने वाला बयान देकर हिंदुओं को एकजुट किया.