नयी दिल्ली : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज रविवार को अपने दो दिवसीय मालदीव दौरे की शुरुआत करेंगी. मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहीम मोहम्मद सालेह के नवंबर में सत्ता में आने के बाद द्वीप राष्ट्र में भारत का यह पहला पूर्ण द्विपक्षीय दौरा है. विदेश मंत्रालय (एमईए) ने दौरे की घोषणा करते हुए कहा कि इसका लक्ष्य दोनों देशों के बीच करीबी और मैत्रीपूर्ण संबंधों को और मजबूत करना है.
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मंत्रालय ने कहा कि भारत मालदीव के साथ अपने संबंधों को सबसे अधिक महत्व देता है, जो विश्वास, पारदर्शिता, आपसी समझ और संवेदनशीलता द्वारा चिह्नित है. स्वराज विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद और रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी, वित्त मंत्री इब्राहीम आमेर, राष्ट्रीय योजना एवं अवसंरचना मंत्री मोहम्मद असलम, परिवहन एवं नागरिक उड्डयन मंत्री ऐशथ नाहुला और आर्थिक विकास मंत्री फय्याज इस्माइल के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत करेंगी. मंत्रालय ने कहा कि मंत्री द्विपक्षीय संबंधों की पूरी तरह समीक्षा करेंगे और भविष्य के कार्यक्रमों पर भी चर्चा करेंगे.
विदेश सचिव विजय गोखले और कई वरिष्ठ अधिकारी स्वराज के साथ इस दौरे पर जायेंगे. स्वराज राष्ट्रपति सोलेह से सोमवार को और संसद के अध्यक्ष कासिम इब्राहीम से रविवार को मुलाकात करेंगी. विदेशी मामलों के मंत्री शेख इमरान अब्दुल्ला भी स्वराज से मुलाकात करेंगे. अधिकारियों ने बताया कि मालदीव में नयी सरकार का कार्यभार संभालने के बाद भारत का यह पहला पूर्ण द्वीपक्षीय और राजनीतिक स्तर का दौरा होगा.
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केवल सालेह के शपथ समारोह में शिरकत करने नवंबर में मालदीव गये थे. इसके अलावा, दोनों के बीच कोई विशेष बातचीत नहीं हुई थी. सूत्रों ने कहा कि मालदीव चुनाव आचार संहिता के चलते भारत की सीमाओं से अवगत है और स्वराज का दौरा अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल के दौरान तनाव में आये सभी प्रकार के संबंधों को बेहतर करने के लिए है.
वैसे तो यामीन चीन के करीबी के तौर पर पहचाने जाते हैं. सालेह पिछले साल दिसंबर में भारत के दौरे पर आये थे, जब भारत ने द्वीपराष्ट्र को 1.4 अरब अमेरिकी डॉलर की मदद देने की घोषणा की थी. दोनों देश हिंद-महासागर क्षेत्र की स्थिरता के लिए एक-दूसरे की चिंताओं एवं आकांक्षाओं के प्रति सचेत रहने और अपने हितों के लिए किसी भी गतिविधि के लिए अपने संबंधित क्षेत्रों का उपयोग करने की अनुमति नहीं देने पर सहमती जतायी थी.
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के पिछले साल पांच फरवरी को आपातकाल की घोषणा करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गये थे. भारत ने उनके फैसले की आलोचना की थी और उनकी सरकार से राजनीतिक कैदियों को रिहा करके चुनावी एवं राजनीतिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता बहाल करने को कहा था. यह आपातकाल 45 दिन तक चला था. यामीन को राष्ट्रपति चुनाव में मात देने के बाद सालेह ने नवंबर में राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभाला था.