माइंडट्री स्वतंत्र कंपनी के तौर काम करेगी, एलएंडटी में नहीं होगा विलय

मुंबई : इंजीनियरिंग सेक्टर की प्रमुख कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने मंगलवार को कहा है कि वह अधिग्रहण के बाद फिलहाल माइंडट्री का विलय अपनी सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) यूनिट में नहीं करेगी, बल्कि उसे एक स्वतंत्र कंपनी के तौर पर चलाया जायेगा. सोमवार को एलएंडटी ने माइंडट्री की लगभग 67 प्रतिशत हिस्सेदारी 10,800 करोड़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 21, 2019 5:50 AM

मुंबई : इंजीनियरिंग सेक्टर की प्रमुख कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने मंगलवार को कहा है कि वह अधिग्रहण के बाद फिलहाल माइंडट्री का विलय अपनी सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) यूनिट में नहीं करेगी, बल्कि उसे एक स्वतंत्र कंपनी के तौर पर चलाया जायेगा. सोमवार को एलएंडटी ने माइंडट्री की लगभग 67 प्रतिशत हिस्सेदारी 10,800 करोड़ रुपये में अधिगृहीत करने की घोषणा की थी. इसे देश के आइटी क्षेत्र का पहला जबरन अधिग्रहण माना जा रहा है.

एलएंडटी ने कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के मालिक वीजी सिद्धार्थ की माइंडट्री में 20.32 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए एक समझौता किया है. यह सौदा 3,269 करोड़ रुपये नकद (कैश) में होगा. इसके अलावा उसने ब्रोकरों को माइंडट्री की 15 प्रतिशत अतिरिक्त हिस्सेदारी खुले बाजार (ओपन ऑफर) से खरीदने के लिए कहा है.
इसके लिए कंपनी लगभग 2,500 करोड़ रुपये का पेमेंट करेगी. इन सौदों के साथ-साथ एलएंडटी ने माइंडट्री में 31 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए 5,030 करोड़ रुपये की खुली पेशकश की है. इसके लिए कंपनी प्रति शेयर 980 रुपये का पेमेंट करेगी. यह माइंडट्री के सोमवार को शेयर की बंद कीमत "962.50 पर 1.8 प्रतिशत प्रीमियम के बराबर है. इस प्रकार कंपनी ने माइंडट्री की 67 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण की पेशकश की है.
माइंडट्री पर एक नजर
1999 में आइटी सेक्टर 10 लोगों ने बेंगलुरु में शुरू की थी माइंडट्री कंपनी
11.20 करोड़ की शुरुआती पूंजी और दो कमरे से शुरू हुई थी यह कंपनी
15,000 करोड़ रुपये है आज की तारीख में माइंडट्री की बाजार वैल्यू
19,000 कर्मचारियों की टीम काम कर रही है माइंडट्री में आज
39 साल पहले एलएंडटी का अधिग्रहण चाहती थी रिलायंस
माइंडट्री के जबरन अधिग्रहण की कोशिश कर रही इंजीनियरिंग क्षेत्र की प्रमुख कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) का कहना है कि इस सौदे का विचार तीन महीने पहले तब बना जब कंपनी में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाले वीजी सिद्धार्थ ने अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए कंपनी से संपर्क किया. रोचक बात ये है कि 1980 के दौर में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एलएंडटी के अधिग्रहण की कोशिश की थी. एलएंडटी ने विश्वास जताया कि वह माइंडट्री के नाराज प्रोमोटर्स को मना लेगी.

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